मनुष्यों में होने वाली बीमारियों को आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने
दो श्रेणियों में बाँटा है (१) शारीरिक (२) मानसिक, इनकी
चिकित्सा आन्तरिक औषधियों एवं औषधीय लेपों द्वारा की जाती
है।
प्राचीन भारतीय ऋषियों ने ध्यान के द्वारा जीवन के रहस्यों की गहराई तक छानबीन की और यह पाया कि बीमारियों का कारण केवल कीटाणुओं अथवा विषाणुओं के सम्फ में आना ही नहीं है बल्कि अधिकांश मनुष्यों में पीडा व सन्ताप का कारण पूर्व जन्म में उनके द्वारा किये गये कर्मों का फल भी है। प्रत्येक कर्म चाहे वह अच्छा हो या बुरा, उसका परिणाम भोगना पडता है, चाहे वह इसी जन्म में मिले या फिर आगामी जन्म में। चूँकि प्रत्येक मनुष्य, जीवन तथा मृत्यु के कभी समाप्त न होने वाले चक्र में फँसा हुआ है, मनुष्य की बीमारियाँ व भोग तथा जीवन का उत्थान-पतन अनवरत रूप से चलता रहता है। आधुनिक विज्ञान मृत्यु के बाद जीवन की निरन्तरता को स्वीकार नहीं करता। इसी कारण वह बीमारियों के भौतिक हल ढूँढता है और अन्ततः स्थायी चिकित्सा में असमर्थ रहता है। अगर विज्ञान एक बीमारी का हल खोजता है तो दूसरी अधिक जटिल बीमारियाँ मनुष्यों में कभी-कभी उत्पन्न हो जाती हैं। इसका कारण है, इस विश्वास से इनकार करना कि इस समस्या की जड मनुष्य के भौतिक जीवन से बहुत दूर की बात है। भारतीय योगियों ने पाया कि शारीरिक तथा मानसिक बीमारियों के अलावा आध्यात्मिक बीमारियाँ भी होती हैं। दूसरे शब्दों में कर्म का आध्यात्मिक नियम, पूर्व जन्म के कर्म इस जन्म की बीमारियों तथा दुखों के कारण हैं जो मनुष्य को जन्म जन्मान्तर तक कभी समाप्त न होने वाले चक्र में बांधे रखते हैं। पातंजलि ऋषि ने अपनी पुस्तक ‘योग सूत्र‘ में बीमारियों का वर्गीकरण तीन श्रेणियों में किया हैः- १-शारीरिक (आदि दैहिक) २-मानसिक (आदि भौतिक) ३-आध्यात्मिक (आदि दैविक) आध्यात्मिक बीमारी के लिये आध्यात्मिक इलाज की आवश्यकता होती है। साधक की आध्यात्मिक बीमारियों का आध्यात्मिक इलाज, योग के नियमित अभ्यास द्वारा केवल आध्यात्मिक गुरू, जैसे गुरू सियाग की मदद द्वारा ही सम्भव हो सकता है। एक शिष्य केवल गुरू की सहायता से ही पूर्व जन्मों के कर्म बन्धनों को काटकर अपने जीवन के सही उद्देश्य, आत्मसाक्षात्कार द्वारा बीमारियों तथा दःुखों से छुटकारा पा सकता है। गुरू सियाग ने अनेक केसैज में यह सिद्ध किया है कि सिद्धयोग का नियमित अभ्यास लम्बे समय से चली आ रही बीमारियों जैसे गठिया व डायबिटीज (शक्क्र की बीमारी) तथा अन्य घातक रोगों जैसे कैन्सर व एड्स/एच.आई.वी. में न सिर्फ आराम ही पहुँचा सकता है बल्कि उन्हें ठीक भी कर सकता है। अनगिनत मरीज, जिनका चिकित्सकों के पास कोई इलाज नहीं था, और मरने के लिये छोड दिये गये थे, उन्होंने सिद्धयोग को अन्तिम विकल्प के रूप में अपनाया और गुरुदेव से आशीर्वाद प्राप्त किया तथा दीक्षा ली, वह न सिर्फ जीवित और पूर्ण स्वस्थ हैं बल्कि लगभग अपना सामान्य जीवन भी जी रहे हैं। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान जहाँ किसी बीमारी में लाभ पहुँचाने या उसे ठीक करने में असमर्थ रहता है वहाँ योग सफलतापूर्वक उसे ठीक करता है। अतः यह आश्चर्यजनक नहीं है कि अधिकांश मरीज हर प्रकार की चिकित्सा पद्धति अपनाने के बाद भी कोई लाभ न मिलने से एवं जिनके जीवित रहने की आशा समाप्त हो चुकी है, सामान्यतः वह गुरू सियाग के पास मदद के लिये आते हैं। जोधपुर (राजस्थान-भारत) निवासी भंवरलाल जाट एड्स की अन्तिम अवस्था तक पहुँचा हुआ एक ऐसा ही केस था। चिकित्सालय में जह उसका इलाज चल रहा था उसके नजदीकी रिश्तेदारों से डॅाक्टरों ने यह कहकर कि भंवरलाल अब मृत्यु के अन्तिम छोर पर पहुँच चुका है, इसे घर ले जाओ, चिकित्सालय से डिस्चार्ज कर दिया था। एक अक्टूबर २००२ के दोपहर बाद स्ट्रेचर पर लादकर ऐसी हालत में भंवरलाल को गुरू सियाग के पास लाया गया । वह न तो बोल सकता था और न अपने हाथ पैर ही हिला सकता था। जब गुरू सियाग ने पूछा कि क्या वह सुन सकता है। तो उसने बडी कठिनाई से पलकों को झपकाकर सकारात्मक संकेत किया। गुरू सियाग ने तब भंवरलाल को दिव्य शब्द दिया और उसे चुपचाप निरन्तर मानसिक जाप करने के लिये कहा। जीवित रहने की प्रबल इच्छा से भंवरलाल ने वैसा ही किया जैसा करने के लिये उससे कहा गया था। उसके चारों ओर के लोग पूरी तरह से आश्चर्यचकित रह गये जब उन्होंने देखा कि एक सप्ताह के अन्दर ही भंवरलाल के स्वास्थ्य में सुधार के स्पष्ट लक्षण दिखाई पडने लगे। उसका बाद में वजन बढ गया और पूर्ववत पूर्ण स्वस्थ हो गया। तब से वह अपना सामान्य जीवन व्यतीत कर रहा है। यद्यपि उसके पास एच. आई. वी. निगेटिव का प्रमाण पत्र नहीं है। एड्स से भंवरलाल का आश्चर्यजनक सुधार व उसके प्रत्यक्ष रूप से स्वस्थ होने के लक्षणों के बावजूद आज स्थानीय चिकित्सा बिरादरी उसके केस को आगे लाने से मना करती है क्योंकि एक बीमारी की आध्यात्मिक चिकित्सा का विचार विकसित पश्चिम के चिकित्सकों के गले अभी तक नहीं उतर सका है। बीकानेर (राजस्थान) निवासी,श्रीमती सुशीला का ल्यूकीमिया(ब्लड कैंसर) का केस भी इसी प्रकार का था। अप्रैल २००० में उनके सफेद रक्तकणों का स्तर खतरनाक स्थिति तक पहुँच गया। उनके मित्रों ने उन्हें गुरू सियाग के बारे में बतलाया, अतः उन्होंने अन्तिम विकल्प के रूप में इसे चुना। मई २००० में श्रीमती सुशीला ने गुरू सियाग से दीक्षा ली। गुरुदेव सियाग से दीक्षा लेने के ९ दिन बाद ही श्रीमती सुशीला के आश्चर्यजनक सुधार हुआ। सिद्ध योग का अभ्यास करने के २ माह के अन्दर ही श्रीमती सुशीला के सफेद रक्तकणों की संख्या सामान्य हो गई। जैसे ही श्री भंवरलाल तथा श्रीमती सुशीला देवी के आश्चर्यजनक रूप से ठीक होने की बात देश में चारों ओर फैली, ए्ड्स/एच. आई. वी. तथा कैन्सर से पीडत मरीज जिन्दा रहने की प्रबल इच्छा लिये दैवीय मदद हेतु गुरू सियाग के आश्रम में पहुँचने लगे। घातक तथा लम्बे समय से चली आ रही बीमारियों से ठीक हुए अनेक लोगों के रिकार्ड को गुरू सियाग ने संकलित करा रखा है ( मरीजों की पहचान छिपाने के कारण चिकित्सा व प्रयोगशाला के रिकार्ड्स आम व्यक्तियों के देखने के लिये उपलब्ध नहीं है फिर भी इन रिपोर्ट्स के लिये प्रार्थना किये जाने पर उन्हें उपलब्ध कराया जा सकता है। अगर आप चाहते हैं कि यह रिपोट्र्स आपको उपलब्ध कराई जावें तो आप गुरू सियाग को ईमेल या फोन द्वारा प्रार्थना कर सकते हैं। लेकिन ईमेल या फोन द्वारा रिपोर्ट्स की माँग किये जाने पर माँग का कारण अंकित करें। अगर माँग का कारण संतोषजनक पाया जायेगा तो रिपोर्ट्स आपको भेज दी जायेंगी )। असाध्य रोगों का ठीक होना निरन्तर जाप एवं ध्यान के दौरान लगने वाली खेचरी मुद्रा में साधक की जीभ स्वतः उलटकर तालू से चिपक जाती है, जिसके कारण सहस्त्रार से निरन्तर टपकने वाला दिव्य रस (अमृत) साधक के शरीर में पहुचकर साधक की रोग प्रतिरोधक शक्ति को अद्भुत रूप से बढा देता है, जिससे साधक को असाध्य रोगों जैसे एड्स, कैन्सर, गठिया एवं अन्य प्राणघातक रोगों से पूर्ण मुक्ति मिल जाती है। महायोगी गोरखनाथ जी ने कहा है कि -
आज सम्पूर्ण विश्व में भयंकर तनाव व्याप्त है। अतः आज विश्व में मनोरोगियों की संख्या सर्वाधिक है, खासतौर से पश्चिमी जगत में। भौतिक विज्ञान के पास मानसिक तनाव शान्त करने की कोई कारगर विधि नहीं है। भैतिक विज्ञानी मात्र नशे के सहारे, मानव के दिमाग को शान्त करने का असफल प्रयास कर रहे ह। दवाई का नशा उतरते ही तनाव पहले जैसा ही रहता है, तथा उससे सम्बन्धित रोग यथावत रहते हैं। वैदिक मनोविज्ञान अर्थात अध्यात्म विज्ञान, मानसिक तनाव को शान्त करने की क्रियात्मक विधि बताता है। भौतिक विज्ञान की तरह भारतीय योगदर्शन भी “नशे” को पूर्ण उपचार मानता है, परन्तु वह “नशा” ईश्वर के नाम का होना चाहिये, किसी भौतिक पदार्थ का नहीं। हमारे सन्तों ने इसे हरि नाम की खुमारी कहा है। इस सम्बन्ध में संत सदगुरुदेव श्री नानक देव जी महाराज ने फरमाया हैः
गुरू के प्रति पूर्ण निष्ठा व भक्ति आवश्यक आरम्भ करने वाले इस बात को लेकर चिन्त्तित होते हैं कि किस प्रकार प्रयास कर जाप किया जाय लेकिन कुछ दिनों तक ही निष्ठापूर्वक लगातार प्रयास की आवश्यकता होती है। जब कुछ दिनों तक लगातार मंत्र का जाप किया जाता है तो यह स्वतः ही जपा जाने लगता है फिर भी यह इस बात पर निर्भर करता है कि कितनी निष्ठा, ईमानदारी और लगन के साथ प्रयास किया गया है। साधक को यह सख्त हिदायत दी जाती है कि यदि उनकी प्रगति धीमी हो तो भ वह इसे छोडंे नहीं, अन्त्ततः वह इसे प्राप्त कर लेंगे। जो भी इसमें रूचि रखता है उसके लिये सिद्धयोग का अभ्यास करना बहुत सरल है। योग के बारे में पूर्व जानकारी या अनुभव आवश्यक नहीं है और न ही कोई खास उपकरणों, सहायता अथवा ड्रेस विशेष की आवश्यकता होती है। योग प्रशिक्षक की उपस्थिति भी आवश्यक नहीं होती। किसी रस्मो-रिवाज की भी जरूरत नहीं होती। सिद्धयोग के साधक को अपना धार्मिक विश्वास छोडने या जीवन पद्धति में बदलाव लाने या खानपान में परिवर्तन करने की आवश्यकता नहीं होती। अच्छा स्वास्थ्य तथा आध्यात्मिक प्रगति के लिये साधक को सिर्फ गुरू सियाग के प्रति पूर्ण निष्ठा एवं भक्ति की जरूरत होती है।
|
-
Meditation Kaise Kare: 15 Minute Deep Sleep Meditation Benefits - [image: Meditation Kaise Kare: 15 Minute Deep Sleep Meditation Benefits]1 year ago
-
✅ Siddha Yoga: A Divine Gift for Humanity |
Related Posts
अनुभव साझा - वंदना कश्यप निवास मध्य प्रदेश, जिला गुना, राधोगढ- Guru Siyag Experiences Sharing
06 Oct 20200अनुभव साझा - वंदना कश्यप जय गुरुदेव रामलाल जी सियाग, जय दादागुरु गंगाईनाथ जी की जय। ...Read more »
See how meditation & yoga may helpful in diseases(Coronavirus,covid19,sugar,hiv,haemophilia etc)
05 Mar 20200See how meditation & yoga may helpful in diseases(Coronavirus,covid19,sugar,hiv,haemophilia etc...Read more »
How to Overcome Depression Naturally by Yoga & Meditation: Yoga Videos
30 Nov 20192#How_to_Overcome_Depression_Naturally #YogaVideos #Meditation #Yoga #YogaTips Video:https...Read more »
Difference Between Siddha Yoga and Other Kinds of Yogas
21 Sep 20190Guru Siyag Siddha Yoga ----------------------------------- •Guru Siy...Read more »
Learn World's Best Meditation method: in Your Language |Yoga | Websites | Spiritual | Healing | Blogs | Guru Siyag | Siddha Yoga | World's | Best | Online | Techniques: Top Alert
11 Jul 20190Learn World's Best Meditation method: in Your Language |Yoga | Websites | Spiritual | Healing |...Read more »
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Featured Post
कुण्डलिनी शक्ति क्या है, इसकी साधना, इसका उद्देश्य क्या है : कुण्डलिनी-जागरण
कुण्डलिनी शक्ति क्या है, इसकी साधना, इसका उद्देश्य क्या है : कुण्डलिनी-जागरण कुण्डलिनी क्या है? इसकी शक्ति क्या है, इसकी साधना, इसका उद्...
Followers
✅ Highlights of the day: |
0 comments:
Post a Comment
Click to see the code!
To insert emoticon you must added at least one space before the code.