✅ Highlights of the day:

 

नमामि शमीशान निर्वाण रूपं: अर्थ, महत्व और उपयोग

यह श्लोक किसे समर्पित है?
यह श्लोक भगवान शिव को समर्पित है, जो परम तत्व, मोक्ष के दाता और शांति के प्रतीक माने जाते हैं। श्लोक उनके निर्वाण रूप को दर्शाता है, जो समस्त बंधनों और सांसारिक मोह से परे है।


नमामि शमीशान निर्वाण रूपं अर्थ सहित : शिव रुद्राष्टकम अर्थ, महत्व और उपयोग


श्लोक का विस्तृत अर्थ

शब्दार्थ और भावार्थ:

  • नमामि: मैं नमन करता हूं या समर्पित होता हूं।
  • शमीशान: शांतिदायक ईश्वर, शिव, जो सृष्टि का संचालन और संहार करते हैं।
  • निर्वाण रूपं: वह स्वरूप जो आत्मा को मोक्ष या परम शांति प्रदान करता है।

भावार्थ:
यह श्लोक भगवान शिव की उस दिव्यता का वर्णन करता है जो उन्हें संपूर्ण ब्रह्मांड से अलग और परे बनाती है। शिवजी का निर्वाण रूप आत्मा की मुक्ति का प्रतीक है।


शमीशान शिव का महत्व

भगवान शिव को “आदियोगी” और “महादेव” कहा गया है। उनके शमीशान स्वरूप का महत्व इस प्रकार है:

  • मोक्ष का दाता: शिवजी को मोक्ष का स्वामी माना गया है।
  • शांति का प्रतीक: उनका ध्यान जीवन के विकारों और अशांति को दूर करता है।
  • सर्वशक्तिमान स्वरूप: यह श्लोक शिवजी की अनंत शक्तियों का स्मरण कराता है।

श्लोक के लाभ

यह श्लोक नियमित रूप से जपने से:

  1. मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
  2. ध्यान में गहराई आती है।
  3. जीवन के तनाव और अशांति को कम किया जा सकता है।
  4. आध्यात्मिक विकास और आत्मा की उन्नति होती है।

इस श्लोक का पाठ कब और कैसे करें?

1. शुभ समय:

  • ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4:00 से 6:00)
  • प्रदोष काल (शाम का समय)

2. विधि:

  • स्वच्छ होकर, शांत चित्त से शिवलिंग या शिव चित्र के समक्ष बैठें।
  • दीपक और पुष्प अर्पित करें।
  • इस श्लोक का 11, 21, या 108 बार जप करें।

3. ध्यान के साथ जप:

  • श्लोक का उच्चारण धीरे-धीरे और स्पष्ट करें।
  • शिवजी के शांत और निर्वाण स्वरूप का ध्यान करें।

शिवजी की कृपा कैसे प्राप्त करें?

  • नियमित पूजा और ध्यान करें।
  • शिवजी के मंत्रों का जाप करें।
  • शिव रात्रि या प्रदोष व्रत का पालन करें।
  • सेवा और दान में भाग लें।

शमीशान श्लोक का भावनात्मक और सामाजिक लाभ

  • यह श्लोक न केवल आत्मा को मोक्ष की ओर ले जाता है, बल्कि जीवन में सकारात्मकता और धैर्य भी लाता है।
  • यह व्यक्ति को अपनी सीमाओं से परे सोचने और आत्मा के उच्चतम स्तर तक पहुंचने में मदद करता है।
  • शिवजी का स्मरण सभी के लिए समान रूप से कल्याणकारी है।

नमामि शमीशान निर्वाण रूपं: अर्थ, महत्व और श्लोक का विस्तृत विवरण

यह श्लोक क्या है?
"नमामि शमीशान निर्वाण रूपं" भगवान शिव की स्तुति में रचित एक सुंदर श्लोक है। यह श्लोक उनके अद्वितीय स्वरूप, असीम शक्ति और मोक्षदायक गुणों का वर्णन करता है।


श्लोक का पूरा पाठ

श्लोक:

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम्। निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाशमाकाशवासं भजेहम्। निराकारमोङ्करमूलं तुरीयं गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम्। करालं महाकालकालं कृपालं गुणागारसंसारपारं नतोहम्। तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभीरं मनोभूतकोटिप्रभाश्री शरीरम्। स्फुरन्मौलिकल्लोलिनी चारुगङ्गा लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा। चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम्। मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं प्रियं शङ्करं सर्वनाथं भजामि। प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशं। त्र्यःशूलनिर्मूलनं शूलपाणिं भजेहं भवानीपतिं भावगम्यम्। कलातीतकल्याण कल्पान्तकारी सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी। चिदानन्दसंदोह मोहापहारी प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी। न यावद् उमानाथपादारविन्दं भजन्तीह लोके परे वा नराणाम्। न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं। न जानामि योगं जपं नैव पूजां नतोहं सदा सर्वदा शम्भुतुभ्यम्। जराजन्मदुःखौघ तातप्यमानं प्रभो पाहि आपन्नमामीश शंभो।


श्लोक का अर्थ और भावार्थ

1. नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
भगवान शिव को प्रणाम करता हूं, जो मोक्षस्वरूप हैं और सब जगह विद्यमान हैं।

2. निराकारमोङ्करमूलं तुरीयं
वे निराकार और ओंकार के मूल हैं, और तुरीय अवस्था (आध्यात्मिक उच्चतम स्तर) के प्रतीक हैं।

3. करालं महाकालकालं कृपालं
शिवजी महाकाल के भी स्वामी हैं, और असीम करुणा प्रदान करते हैं।

4. तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभीरं
उनका स्वरूप हिमालय के समान उज्ज्वल और गहरा है।

5. न जानामि योगं जपं नैव पूजां
मैं पूजा, जाप या योग नहीं जानता, केवल शिवजी को सदा नमन करता हूं।


नमामि शमीशान निर्वाण रूपं अर्थ सहित : शिव रुद्राष्टकम अर्थ, महत्व और उपयोग



इस श्लोक का महत्व

  • आध्यात्मिक शांति:
    यह श्लोक पढ़ने से मानसिक और आत्मिक शांति मिलती है।
  • संसारिक बंधनों से मुक्ति:
    शिवजी का स्मरण व्यक्ति को सांसारिक मोह और बंधनों से मुक्त करता है।
  • भक्ति और श्रद्धा:
    यह श्लोक शिवजी के प्रति भक्ति भाव को गहरा करता है।

श्लोक का पाठ कैसे करें?

  1. समय:

    • सुबह और संध्या के समय।
    • सोमवार और शिवरात्रि के दिन विशेष रूप से।
  2. विधि:

    • शुद्ध और शांत चित्त से शिवलिंग के समक्ष बैठें।
    • दीप और जल अर्पित करें।
    • इस श्लोक का ध्यानपूर्वक जप करें।

शिवजी का आशीर्वाद प्राप्त करने के तरीके

  • नियमित श्लोक पाठ:
    दिनचर्या में इस श्लोक का जप शामिल करें।
  • शिव रात्रि व्रत:
    शिव रात्रि पर व्रत रखें और भगवान शिव का ध्यान करें।
  • दान और सेवा:
    दूसरों की मदद और सेवा करना शिवजी को प्रिय है।

शिवजी के इस श्लोक को जीवन में कैसे अपनाएं?

1. नित्य पाठ:
सुबह उठकर और रात को सोने से पहले इस श्लोक का पाठ करें। यह दिन भर की नकारात्मकता को दूर करता है।

2. शिवलिंग की पूजा:
शिवलिंग के समक्ष बैठकर जल, फूल और बिल्वपत्र अर्पित करें। श्लोक का पाठ करते समय उनकी कृपा का अनुभव करें।

3. साधारण जीवन जीएं:
शिवजी का जीवन सादगी का प्रतीक है। उनकी शिक्षाओं को अपनाकर मोह-माया से बचें और संतोषी बनें।

4. ध्यान करें:
श्लोक के पाठ के साथ ध्यान शिवजी के प्रति समर्पण को और अधिक मजबूत बनाता है।


शिवजी की उपासना के दौरान ध्यान देने योग्य बातें

  • भक्ति और श्रद्धा:
    भगवान शिव सरल और सच्ची भक्ति से प्रसन्न होते हैं। किसी भी विधि से अधिक महत्वपूर्ण आपकी श्रद्धा है।

  • शुद्धता:
    शारीरिक और मानसिक शुद्धता के साथ इस श्लोक का पाठ करें।

  • समर्पण भाव:
    पूरी तरह से शिवजी को समर्पित होकर इस श्लोक का जप करें।


निष्कर्ष

"नमामि शमीशान निर्वाण रूपं" एक ऐसा दिव्य श्लोक है जो न केवल भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है, बल्कि भक्तों को आध्यात्मिक शक्ति और आंतरिक शांति प्रदान करता है। इसका नियमित जप जीवन के दुखों को समाप्त करता है और आत्मा को मोक्ष की ओर ले जाता है।

भगवान शिव की स्तुति के माध्यम से अपने जीवन को धन्य बनाएं। उनके कृपा से सभी बाधाएं दूर होंगी, और आपको सच्ची शांति और सुख प्राप्त होगा।


Next
This is the most recent post.
Previous
Older Post

0 comments:

Post a Comment

Featured Post

कुण्डलिनी शक्ति क्या है, इसकी साधना, इसका उद्देश्य क्या है : कुण्डलिनी-जागरण

कुण्डलिनी शक्ति क्या है, इसकी साधना, इसका उद्देश्य क्या है : कुण्डलिनी-जागरण कुण्डलिनी क्या है? इसकी शक्ति क्या है, इसकी साधना, इसका उद्...

Followers

Highlights

 
Top