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प्रश्न- क्या मुझे किसी प्रकार की कसरत करनी है? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर-नहीं, आपको किसी प्रकार की कसरत नहीं करनी है। वे क्रियायें जो आफ शरीर के लिये आवश्यक हैं, वह ध्यान के दौरान स्वतः होंगी। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न-रहने का क्या तरीका व दिनचर्या अपनानी होगी? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर-आपको अपने वर्तमान रहने के तरीके या दिनचर्या में कोई परिवर्तन नहीं करना है और न आपको रहने का कोई नया तरीका अपनाना है। जो कुछ आप ध्यान आरम्भ करने से पहले कर रहे थे, उसे जारी रखें। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न-क्या सिद्धयोग निःशुल्क है? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर-हाँ, सिद्धयोग पूर्णतः निःशुल्क है। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न-क्या ध्यान का एक खास या उपयुक्त समय है? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर-नहीं, ध्यान आप किसी भी समय, जो आपको सुविधाजनक हो कर सकते हैं। ध्यान के लिये कोई तयशुदा या उपयुक्त समय नहीं है। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न-मुझे ध्यान कितनी देर तक करना है? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर- आरम्भ करने वालों के लिये, गुरू सियाग १५ मिनट के ध्यान की राय देते हैं। अगर आप आरामदायक महसूस करते हैं तो आप धीरे-धीरे ध्यान के समय की सीमा बढा सकते हैं। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न-एक दिन में मुझे कितनी बार ध्यान करना चाहिए? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर- कोई निश्चित संख्या नहीं है। फिर भी गुरू सियाग शिष्यों को एक दिन में दो बार ध्यान करने की राय देते हैं। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न-क्या हमें ध्यान पर बैठने से पहले अलार्म लगा लेना चाहिए? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर-नहीं, ध्यान पर बैठने से पहले मन ही मन १५ मिनट या जितने समय के लिये आप ध्यान करना चाहते हैं, उतने समय के लिये गुरुदेव से अपनी शरण में लेने हेतु प्रार्थना करें । आपका ध्यान स्वतः ही उतने समय बाद हट जायेगा। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न-अगर कोई बात अचानक मेरा ध्यान चाहती है तो क्या मैं ध्यान के मध्य में उठ सकता हूँ? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर-हाँ आप उठ सकते हैं, अपना कार्य समाप्त करें और तब पुनः ध्यान के लिये बैठें। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न-क्या मैं खाने के बाद ध्यान कर सकता हूँ? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर-तत्काल नहीं, ३-४ घन्टे गुजर जाने दें तब ध्यान करें। भरे पेट ध्यान न करें। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न-ध्यान करने हेतु मैं कहां बैठ सकता हूँ? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर- कहीं भी, वैसे तो आपको फर्श पर बैठ कर ध्यान करना चाहिये, लेकिन आप परिस्थिति के अनुसार कुर्सी के ऊपर, सोफे, या बिस्तर पर बैठकर भी ध्यान कर सकते हैं। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न-किस दिशा की ओर मुँह करके बैठें? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर-किसी भी दिशा की ओर, जो आपको सुविधाजनक हो। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न-ध्यान के लिये क्या एकान्त में बैठना आवश्यक है? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर-नहीं, एक बार जब आपको ध्यान की आदत पड जायेगी, यह आप भीड भरे स्थानों में भी कर सकते हैं। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न-क्या मैं दूसरे व्यक्तियों के साथ एक समूह में ध्यान कर सकता हूँ? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर-हाँ। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न-ध्यान करने योग्य होने के लिये क्या उम्र होनी चाहिए? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर-कोई भी ५ वर्ष या इससे ज्यादा का ध्यान कर सकता है। इसका मतलब है बालक, युवा, अधेड उम्र या बुजुर्ग ध्यान कर सकते हैं। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न-ध्यान करने के लिये क्या मुझे एक खास तरह के कपडे पहनने होंगे? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर- नहीं, जब ध्यान करें आप जो भी चाहें पहन सकते हैं। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न-गुरू सियाग से दीक्षा लिये बिना क्या मैं ध्यान कर सकता हूँ? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर-हाँ आप कर सकते हैं। ध्यान की विधि अपनाने के लिये कृपया “ध्यान का तरीका” भाग पढें। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न-बिना दीक्षा प्राप्त किये क्या मैं किसी को सिद्धयोग की सिफारिश कर सकता हूँ? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर- हाँ। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न-क्या मैं किसी और के लिये भी ध्यान कर सकता हूँ? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर-हाँ, आप उस व्यक्ति के लिये ध्यान कर सकते हैं जो आफ दिल के बहुत करीब हो, जिसके बारे में आप बहुत चिन्ता करते हों, अगर वह किसी कारणवश ध्यान करने योग्य न हो, उदाहरणार्थ- एक बच्चा, एक बेहोश व्यक्ति और कोई जो- आध्यात्मिकता के खिलाफ हो। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न-जब मैं ध्यान न कर रहा होऊँ मुझे क्या करना चाहिए? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर-आप गुरू सियाग द्वारा दिये गये मंत्र का जाप २४सों घन्टे (अर्थात अधिक से अधिक) करें।जाप इस रास्ते पर तेजी से आगे बढने की चाबी है। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न-जब ध्यान कर रहा होऊँ मुझे दिमाग में क्या रखना चाहिए? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर-केवल दो चीजें, गुरू सियाग के चित्र पर ध्यान केन्दि्रत करें तथा खामोशी के साथ मंत्र का जाप करें, अगर आप दीक्षित नहीं है तो किसी अन्य ईश्वरीय नाम का जाप करें। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न-अगर मैं दीक्षा कार्यक्रम में आने में असमर्थ हूँ तो मुझे क्या करना चाहिए? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर-ध्यान की विधि में दिये निर्देशों के अनुसार आप घर पर ध्यान करना आरम्भ कर सकते हैं। गुरू सियाग के प्रति विश्वास तथा समर्पण आध्यात्मिक प्रगति पर आगे बढने के आफ आधार हैं। गुरू सियाग से मिले बिना भी विश्वास तथा समर्पण आ सकता है। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न-अगर मैंने ध्यान करना आरम्भ कर दिया है और फायदे अनुभव कर रहा हूँ, क्या फिर भी गुरू सियाग से दीक्षा प्राप्त करने के लिये आना होगा? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर- हाँ, गुरू-शिष्य परम्परा के अनुसार व्यक्तिगत रूप से दीक्षा लिये बिना आपकी आध्यात्मिक प्रगति पूर्ण नहीं है। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न-दीक्षा कार्यक्रम कब होते हैं? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर-दीक्षा कार्यक्रम केवल बृहस्पतिवार को होते हैं। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न-दीक्षा कार्यक्रम किस भाषा में सम्पन्न होते हैं? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर- दीक्षा कार्यक्रम पूर्ण रूप से हिन्दी में होते हैं, फिर भी विदेशी नागरिकों के लिये जिन्हें अनुवाद की आवश्यकता है, व्यवस्था की जायेगी। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न-क्या मुझे दीक्षा प्राप्त करने के लिये अनुमति लेनी होगी? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर-भारतीय नागरिक साधारण दीक्षा कार्यक्रमों में भाग ले सकते हैं। विदेशी नागरिकों के लिये जिन्हें हिन्दी से अंग्रेजी में अनुवाद चाहिए अनुमति लेने की आवश्यकता है जिससे दीक्षा कार्यक्रम के समय व्याख्या करने वाले/अनुवादक के उपस्थित रहने की व्यवस्था की जा सके। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न-क्या मैं गुरू सियाग के साथ निजी तौर पर बैठ सकता हूँ? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर-यह पूर्ण रूप से गुरुदेव की इच्छा पर है। आप ई.मेल द्वारा या फोन से प्रार्थना रख सकते हैं, अगर स्वीकृत हो जाती है, आप गुरू सियाग से प्राइवेट तौर पर बैठक कर सकते ह। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न-क्या मैं गुरू सियाग से फोन पर बात कर सकता हूँ? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर-यह पूरी तरह से गुरुदेव की इच्छा पर है । | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न- मैने गुरू सियाग से मंत्र प्राप्त कर लिया है लेकिन मेरी पत्नी/पुत्र/पुत्री/माँ आदि ने नहीं। क्या मैं उन्हें मंत्र बता सकता हूँ? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर-नहीं, शिष्य को केवल गुरू से ही मंत्र दिया जाता है जो गोपनीय है, और जो दीक्षा कार्यक्रम में उपस्थित नहीं है किसी को भी नहीं बताया जा सकता। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न-क्या प्रत्येक मनुष्य के लिये मंत्र अलग-अलग है? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर- नहीं, प्रत्येक मनुष्य के लिये एक ही मंत्र है, जो गुरू सियाग दीक्षा में देते हैं। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न-अगर मैं मंत्र किसी को बतला दूँ तो क्या होगा? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर-यद्यपि मंत्र गुरुदेव द्वारा जोर से बोलकर (माइक पर) दिया जाता है जपने वाले पर उसे किसी अन्य को बताने या जोर से बोलने पर ईश्वरीय नियम प्रतिबन्ध लगाता है। इस धर्म संहिता का उल्लंघन मंत्र को निष्प्रभावी कर देता है। गलती करने वाला अपने पूरे जीवन में सिद्धयोग की साधना से लाभ की आशा नहीं कर सकता और न उसे गुरुदेव का आशीर्वाद व कृपा प्राप्त होती है। साथ ही जिसको आप मंत्र बतलाऐंगे उसका भी इस मंत्र से कोई भला नहीं होगा | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न-क्या बीमारियाँ वास्तव में ठीक होती हैं? और क्या प्रत्येक बीमारी ठीक होती है? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर-हाँ इसके लिये साधक में गुरू सियाग के प्रति अडिग विश्वास, निष्ठा व समर्पण वांछित है। यदि गुरू सियाग में या उनके सिद्धयोग में आपकी निष्ठा नहीं है तो बीमारी ठीक नहीं होगी। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न-अगर मुझे कोई बीमारी है तो क्या मैं औषधि लेना जारी रख सकता हूँ? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर- हाँ, आप ऐसा कर सकते हैं जब तक गुरू सियाग में आपका पूर्ण विश्वास न हो। जब आप अपना विश्वास बढता हुआ महसूस करें, आप धीरे-धीरे औषधियाँ लेना कम कर सकते हैं। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न-अगर मुझे कोई बीमारी है और मैं अन्य विकल्प आजमाना चाहता हूँ- इलाज, अन्य प्रकार की योग पद्यति क्या मैं ऐसा कर सकता हूँ? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर- ऐसा आप अपनी स्वयं की जोखिम पर कर सकते हैं फिर भी हम दृढता के साथ यह सिफारिश करते हैं कि अन्य विकल्पों का सहारा लेने से पहले आप सिद्धयोग को पूर्ण निष्ठा के साथ करके देखें। अगर आपका विश्वास और शक्ति बटी हुई है तो आपको सिद्धयोग से वांछित परिणाम नहीं मिलेंगे। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न-मैंने दीक्षा ली, सिद्धयोग अपनाया और अपनी बीमारी से
ठीक हो गया, और अब मैं पुनः स्वस्थ हूँ, मैंने ध्यान करना बन्द
कर दिया है क्या मेरी बीमारी वापस आ जायेगी?
| ||||||||||||||||||||||
उत्तर-हमने अधिकांशतः पाया है कि जो ठीक हो जाने के बाद ध्यान करना बन्द कर देते हैं, या जिनका विश्वास लुप्त हो जाता है पुनः उस रोग के शिकार हो जाते हैं लेकिन यह सामान्य नियम नहीं बनाया जा सकता। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न- क्या मेरी बीमारी दीक्षा लेने के तुरन्त बाद ठीक हो जायेगी? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर-नहीं, धैर्य, निष्ठा, विश्वास, प्रयास तथा समर्पण आपका भी चाहिए। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न-पश्चिमी या लौकिक औषधि की तरह क्या इस बात की गारंटी है कि मैं ठीक हो जाऊँगा? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर-नहीं, सिद्धयोग औषधि की तरह कार्य नहीं करता। लेकिन यदि आपकी निष्ठा और समर्पण दृढ है तब सिद्धयोग किसी पश्चिमी/लौकिक औषधि प्रयोग से अधिक तीव्रता तथा दृढता से कार्य करता है। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न-अगर मैं किसी वस्तु का आदी हूँ जैसे शराब, सिगरेट, ड्रग्स, खाना इत्यादि। ध्यान आरम्भ करने से पहले क्या मुझे इनके सेवन से दूर हटने का प्रयास करना चाहिए? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर- नहीं, कुण्डलिनी शक्ति जो सिद्धयोग से जाग्रत होती है वह सही-सही जानती है कि आफ शरीर को क्या चाहिए, वह बिना किसी प्रयास के आपको उस वस्तु से दूर कर देती है जो आफ शरीर के लिये हानिकारक है संक्षेप में, आपको वस्तुओं को छोडेने की आवश्यकता नहीं है, वस्तुऐं आपको छोडकर चली जायेंगी। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न-मुझे कैसे मालूम होगा कि मेरी कुण्डलिनी जाग्रत हो गई है? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर-स्वतः होने वाली यौगिक क्रियायें, दृश्य दिखना, बीमारियों का ठीक होना, व्यक्त्तिव में धनात्मक परिवर्तन इत्यादि कुछ लक्षण हैं जिनसे पता लगेगा कि कुण्डलिनी जाग चुकी है। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न-ध्यान के दौरान मुझे कोई अनुभव नहीं होता है। इसका क्या मतलब है? क्या मैं प्रगति नहीं कर रहा हूँ? क्या मैं सही विधि अपना रहा हूँ? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर-आप प्रगति कर रहे हैं। यह आवश्यक नहीं है कि ध्यान के दौरान कुछ अनुभव हों। विचार करके देखें आप अपने व्यक्त्तिव में काफी धनात्मक परिवर्तन पायेंगे। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न-अगर मैं बीमार नहीं हूँ और न किसी चीज का आदी हूँ अर्थात मैं स्वस्थ हूँ, मैं सिद्धयोग द्वारा कैसे लाभान्वित होऊँगा? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर-आप अपनी आध्यात्मिक यात्रा में तेजी से प्रगति करेंगे, क्योंकि आप भौतिक मुसीबत से बंधे हुए नहीं है। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न-मैने सुना और पढा है कि कुण्डलिनी का जागना अत्यन्त खतरनाक है, क्या यह सच है? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर- नहीं, क्योंकि कुण्डलिनी एक सिद्ध (समर्थ) गुरू, गुरू सियाग द्वारा जाग्रत की गई है। एकमात्र वह ही उसकी प्रगति का अवलोकन तथा नियंत्रण करते हैं। इस प्रकार यह पूर्णतः सुरक्षित है। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न-क्या सिद्धयोग के कोई दुष्प्रभाव होते हैं? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर-नहीं। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न-यदि मैं सिद्धयोग नियमित रूप से नहीं करता हूँ क्या इसका मुझ पर विपरीत प्रभाव पडेगा? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर-नहीं, अलबत्ता, सिद्धयोग के फायदे आपको धीमी गति से अनुभव होंगे। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न-ध्यान करते समय गुरू सियाग के फोटो पर ध्यान केन्दि्रत करना क्या आवश्यक है? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर-हाँ, अगर आप कोई अन्य आकृति चुनेंगें तो सिद्धयोग के लाभ आपको नहीं मिलेंगे। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न- गुरू सियाग के फोटो से ही ध्यान क्यों लगता है? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर-गुरुदेव को निर्गुण निराकार (गायत्री) एवं सगुण साकार (कृष्ण) दोनों ही सिद्धियां प्राप्त हैं। मानवता के इतिहास मे यह पहली घटना है जब दोनों तरह की सिद्धियां एक ही जन्म में किसी मनुष्य को प्राप्त हुई हैं, इसी कारण केवल गुरुदेव सियाग के फोटो से ही ध्यान लगता है। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न-क्या यह योग एक खास धर्म के लिये है? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर-नहीं, यह सभी धर्मो, जातियों, पंथों, वर्गो, सम्प्रदायों आदि के लिये है। यह सम्पूर्ण मानवता के लिये है। | |||||||||||||||||||||||
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प्रश्न- इस योग का उद्देश्य क्या है? | ||||||||||||||||||||||
उत्तर-मानवता का आध्यात्मिक विकास एवं दिव्य
रूपान्तरण।
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Meditation Kaise Kare: 15 Minute Deep Sleep Meditation Benefits - [image: Meditation Kaise Kare: 15 Minute Deep Sleep Meditation Benefits]1 year ago
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✅ Siddha Yoga: A Divine Gift for Humanity |
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