Kundalini Jagran ✅ 5 Top कुण्डलिनी
जागरण विधि:तरीका:मंत्र:विज्ञान:योग साधना:शक्ति:प्राणायाम
कुण्डलिनी जागरण की यौगिक विधि
क्या आप ऊर्जा चक्र और कुंडलिनी जागृत करने के
बारे में जानते हैं?
क्या आप जानते हैं कि वैज्ञानिकों ने पिछले कुछ
सालों में मान लिया है कि इनके सही उपयोग से आप अपने खुद के डीएनए को सुगठित व
रिबिल्ड तक कर सकते हैं ?
सोचिये एक जिन्दा इंसान खुद का डीएनए रिबिल्ड
कर सकता है जिसे नोबल पुरूस्कार प्राप्त वैज्ञानिक अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं में भी
सिर्फ एक डीएनए कोडिंग पर सही ढंग से नहीं कर पाते |
क्या आप जानते हैं आधुनिक विज्ञान का मानना है
कि सारे आनुवांशिक और अन्य सभी रोगों का इलाज बिना किसी दवा के इस से संभव है?
ये वैदिक ज्ञान था जो शायद आज हम अधिकतम भूल
चुके हैं
आज हमें जरुरत है वेदों के रहस्यों में डूब
जाने की और अपने
वैदिक ज्ञान को प्राप्त करने की आधुनिक विज्ञान वहीं से निकल
रहा
है
korotkov - ये एक नाम है | एक वैज्ञानिक का
।
जिनकी टीम ने आधुनिक उपकरणों व हमारे वैदिक
साइंस का मिश्रण कर के रिसर्च की और योग का चक्रों पर प्रभाव व शरीर से निकलने
वाले बायो मैग्नेटिक प्रभाव पर व्यापक अध्यन किया |
ये सब वही है जिसे हम वेदों में पढ़ते हैं
उर्जा चक्र जब व्यक्ति का
उर्जा चक्रों पर नियंत्रण हो जाता है कुंडली जागरण आदि
संभव है
और संभव है उस व्यक्ति की हर भौतिक परेशानी का हल
Rig Veda 6.16.13 में मंत्र आता है |
तवामग्ने पुष्करादध्यथर्वा निरमन्थत ।
मूर्ध्नो विश्वस्य वाघतः ॥
कुछ लोगों को लगता है कि ये जादू है पर ये
हमारे शरीर की ही उर्जा है जो सभी उर्जा चक्रों पर पूर्ण नियंत्रण के बाद जागती है
और हमारे पूर्वज इसे जानते थे तभी ये अधिकतर भारतीयों को सुना सुना लगेगा |
हमारी प्राण शक्ति के केंद्र कुंडलिनी को
अंग्रेजी भाषा में 'serpent power' कहते हैं। पहले विज्ञान भी इसको नहीं
मानता था,क्योंकि वो खुद कर के देख नहीं सकते थे पर आज ऊर्जा चक्रों की ऊर्जा
वो देख चुके हैं तो वो आगे खोज कर रहे हैं
Kundalini Shakti kya hai aur Kundalini Jagran Kaise kare?
कुंडलिनी शक्ति रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से
में सुसुप्त अवस्था
में रहती है।
कुंडलिनी का
कार्य : इससे सभी नाड़ियों का संचालन होता है। योग में मानव शरीर के भीतर 7
चक्रों का वर्णन किया गया है। कुंडलिनी को जब सिद्धयोग के द्वारा जागृत किया जाता
है, तब यही शक्ति जागृत होकर मस्तिष्क की ओर बढ़ते हुए शरीर के सभी
चक्रों को क्रियाशील करती है।
कुण्डलिनी योग
सिद्ध योग के अभ्यास से कुंडलिनी को जाग्रत कर इसे सुषम्ना में स्थित
चक्रों का भेदन कराते हुए सहस्रार तक ले जाया जाता है। यह कुंडलिनी ही हमारे शरीर,
भाव
और विचार को प्रभावित करती है।
चक्रों के नाम : मूलत: सात चक्र होते हैं:-
मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपुर, अनाहत, विशुद्धि,
आज्ञा
और सहस्रार।
नाड़ी और चक्र :
नाड़ीयाँ : इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना
नाड़ियों को शुद्ध करने के लिए सभी तरह के प्राणायाम का अभ्यास करना। इनके शुद्ध
होने से शरीर में स्थित 72 हजार नाड़ियाँ भी शुद्ध होने लगती
हैं। कुंडलिनी जागरण में नाड़ियों का शुद्ध और पुष्ट होना आवश्यक है। स्वर विज्ञान
में इसका उल्लेख मिलता है।
सुषुम्ना नाड़ी मूलाधार (Basal plexus) से
आरंभ होकर यह सिर के सर्वोच्च स्थान पर अवस्थित सहस्रार तक आती है। सभी चक्र
सुषुम्ना में ही विद्यमान हैं। इड़ा को गंगा, पिंगला को यमुना
और सुषुम्ना को सरस्वती कहा गया है। इन तीन नाड़ियों का पहला मिलन केंद्र मूलाधार
कहलाता है। इसलिए मूलाधार को मुक्तत्रिवेणी और आज्ञाचक्र को युक्त त्रिवेणीकहते
हैं।
चक्र : मेरुरज्जु (spinal card) में
प्राणों के प्रवाह के लिए सूक्ष्म नाड़ी है जिसे सुषुम्ना कहा गया है। इसमें अनेक
केंद्र हैं। जिसे चक्र अथवा पदम कहा जाता है। कई नाड़ियों के एक स्थान पर मिलने
से इन चक्रों अथवा केंद्रों का निर्माण होता है। कुंडलिनी जब चक्रों का भेदन करती
है तो उस में शक्ति का संचार हो उठता है, मानों कमल पुष्प प्रस्फुटित हो गया और
उस चक्र की गुप्त शक्तियाँ प्रकट हो जाती हैं।
Kundalini Jagran ke fayde aur labh
इसके (Kundalini Jagran ke labh) लाभ : कुंडलिनी योग ऐसी योग क्रिया है,
जिसमें
व्यक्ति अपने भीतर मौजूद कुंडलिनी शक्ति को जगाकर दिव्यशक्ति को प्राप्त कर सकता
है। कुंडलिनी के साथ 7 चक्रों का जागरण होने से मनुष्य को शक्ति और
सिद्धि का ज्ञान होता है। वह भूत और भविष्य का जानकार बन जाता है। वह शरीर में
बाहर निकल कर कहीं भी भ्रमण कर सकता है। वह अपनी सकारात्मक शक्ति के द्वारा किसी
के भी दुख दर्द-दूर करने में सक्षम होता है। सिद्धियों की कोई सीमा नहीं होती।
कुँडलिनी की
अर्थ कुँडल फेरा या लपेटा किया जाता है। तीन चार आवृत्ति में घूमे वर्तुल को
कुँडलिनी कहते हैं। यह शब्द सामान्य स्थिति में शरीर को लपेटे मारकर बैठी सर्पिणी
के प्रतीक का बोध कराने के लिए चुना गया है। कुँडलिनी का अर्थ फेरा तो है, लेकिन
वह इतना ही नहीं है। सही अर्थ है- गहरा स्थान या गड्ढा। अगर एक गड्ढा बनाया जाए और
वह कुछ गहरा बन जाए, तो उसे कुँड कहते हैं। उस कुंड से संबंधित चीज
को कुँडलिनी कहेंगे।
कुण्डलिनी जागरण के लक्षण व लाभ
योगशास्त्र के मर्मज्ञ कहते हैं कि मस्तिष्क
में एक गहरा गड्ढा है। वहाँ दिव्यशक्ति छिपी पड़ी है। यह गड्ढा सिर को छेदकर या
दिमाग का आपरेशन कर नहीं ढूंढ़ा जा सकता। इसका अस्तित्व स्थूल मस्तिष्क में नहीं
सूक्ष्मशरीर में है। इस केंद्र को योगसाधनाओं से निर्मल हुए चित्त में केवल अनुभव
ही किया जा सकता है। स्वामी सत्यानंद के अनुसार मस्तिष्क में विद्यमान उस गहर अथवा
कुँड को जगा दिया जाए तो व्यक्ति के संपूर्ण अस्तित्व में स्थित शक्तिकेंद्र जाग
उठते हैं। सामान्य स्थिति में ये केंद्र सोए पड़े रहते हैं।
सिद्ध योगी या गुरु साधक पर जब शक्तिपात करते
हैं,तो मस्तिष्क का यही केंद्र जागता है।
Kundalini Jagran Vidhi
गुरु अपने शिष्य पर अनुग्रह
करते हुए उसके सिर पर हाथ रखते हैं। आशीर्वाद के उस क्रम में ही शक्ति का संचार
हस्ताँतरण या जागरण होता है। शक्ति यों पूरे व्यक्तित्व में ही व्याप्त है। कुछ
केंद्र इसके नियंत्रण की भूमिका में होते है। वहाँ से इसका संचालन जागरण और
निष्क्रमण होता है। दैनंदिन जीवन में किसी भी यंत्र को चलाने के लिए स्विच ऑन या
ऑफ करने के उदाहरण से इस तथ्य को समझा जा सकता है। बिजली सभी जगह व्याप्त है,
लेकिन
उसका कोई लाभ नहीं उठाया जा सकता है। बिजली का उपयोग करना हो तो एक प्रक्रिया से
गुजरते हैं। उसके लिए बिजली के उत्पादन और वितरण तंत्र से संपर्क स्थापित करते
हैं। उस संपर्क को जाग्रत और प्रसुप्त करने के लिए स्विच ऑन या ऑफ किया जा सकता
है। मानवी चेतना में व्याप्त शक्ति को ऊर्जा के विराट सागर से जोड़ने अथवा उसे
अपने भीतर उद्घाटित करने के लिए अवतरण या जागरण संपन्न होने के बाद संकल्प मात्र
से अभीष्ट केंद्रों को सक्रिय किया और रोका जा सकता है।
कुँडलिनी को सर्पिणी के रूपक से समझाया गया तो
इसका अर्थ यह नहीं है कि वह नाग या नागिन है। आशय सिर्फ इतना है कि महाशक्ति चमकती
हुई लपलपाती और सधी हुई अवस्था में जीवनदायिनी है। जिस युग के योगियों ने कुँडलिनी
महाशक्ति का अनुभव किया, उस युग में किसी सीमित स्थान में सीमित
शक्ति के लिए सर्प ही उपयुक्त प्रतीक था। उसमें दीप्ति, स्फूर्ति,
ऊर्जा
और विष की जो क्षमताएँ है, वे मूलाधार चक्र में प्रसुप्त शक्ति की
विशेषताओं से मेल खाती है। शक्ति का स्वयं कोई आकार या रूप नहीं सर्प या सर्पिणी
का उपयोग किया गया।
कुण्डलिनी जागरण तरीका
आज के युग में किसी को कुँडलिनी का प्रथम अनुभव
होता तो संभव है दूसरे प्रतीक चुने जाते। आज की स्थिति और काल के अनुरूप कोई
प्रतीक चुनना होता, तो कुँडलिनी को विद्युत के रूपक से समझाया
जाता। निराकार, दीप्तिवान, कौंधती हुई
ऊर्जा और संभालकर चलें तो निहाल कर देने वाली क्षमता बिजली में विद्यमान है। बिना
संभाले, असावधानी से इस्तेमाल किए जाने पर बिजली सर्प से भी ज्यादा घातक
सिद्ध होती है। कुँडलिनी जागरण के अनुभव से गुजरे विभिन्न योगी इस शक्ति को आकाश
में कौंधती और घरों में अकस्मात चमक उठने वाली बिजली की तरह देखते भी है। शक्तिपात
के समय भी कुछ शिष्य-साधकों को इसी तरह का अनुभव हुआ है।
विज्ञान के विद्यार्थी और योग के साधकों ने
कुँडलिनी की तुलना अणुशक्ति से की है। अणु का विखंडन संभाला न जाए तो विनाश कर
देता है और उसका व्यवस्थित उपयोग किया जाए, तो कई शहरों को
निरन्तर बिजली दे सकता है।
कुंडली जागरण के फायदे
जिस चेतना में महाशक्ति का अवतरण होता या जहाँ
कुंडलिनी शक्ति जाग्रति है, वहाँ व्यक्तित्व में आमूलचूल परिवर्तन
आ जाता है। यह परिवर्तन स्वभाव, संस्कृत, प्रतिभा,
मेधा,
प्रभाव
और वैभव आदि सभी पक्षों में दिखाई देता है। कहना न होगा कि परिवर्तन शुभ और
कल्याणकारी ही होता है। अपने लिए भी और संपर्क में आने वालों के लिए भी।
Read more:
Lables
chakra kundalini, awakening, adi shakti, kundalini awakening, kundalini meditation, kundalini yoga, what is kundalini, kundalini, shakti, jagran, energy, power, mantra, awakening, experiences, उद्देश्य, कुण्डलिनी क्या है? शक्ति क्या है, कुण्डलिनी-जागरण, साधना, कुण्डलिनी जागरण के लक्षण,
कुण्डलिनी जागरण साधना
कुण्डलिनी जागरण की विधि
कुण्डलिनी जागरण की विधि pdf
कुण्डलिनी शक्ति का जागरण
कुण्डलिनी जागरण तरीका
कुण्डलिनी जागरण मंत्र
कुण्डलिनी जागरण विधि और विज्ञान
कुण्डलिनी शक्ति
कुण्डलिनी प्राणायाम
कुण्डलिनी योग
कुण्डलिनी साधना
कुण्डलिनी जागरण की विधि
परमपिता का अर्द्धनारीश्वर भाग शक्ति कहलाता है यह ईश्वर की पराशक्ति है (प्रबल लौकिक ऊर्जा शक्ति) । जिसे हम राधा, सीता, दुर्गा, माता, अम्बा, पार्वती या काली आदि के नाम से पूजते हैं। पूर्व में लोगों ने ध्यान – साधना के दौरान कुण्डलिनी शक्ति के अलग-अलग रूप देखे एवं उन्हें चित्र या मूर्ति के रूप में ढलने का प्रयास किया | उन शक्तियों के अलग-अलग नाम राधा, सीता, दुर्गा, अम्बा, काली, संतोषी, पार्वती, लक्ष्मी, सरस्वती आदि दिए गए | यानी ये सभी शक्तियां इंसान के अंदर हैं, इसीलिए लोगों को ध्यान में दिखी | पर कलियुग के प्रभाव के कारण लोगों ने इन शक्तियों को अंदर के बजाय बाहर मूर्तियों में ढूँढना आरम्भ कर दिया | आज भी ये सब शक्तियाँ मानव मात्र में सुषुप्तावस्था में विद्यमान हैं | गुरुदेव इन्हीं सोई हुई शक्तियों को जगाने का मार्ग बताते हैं |
कुंडलिनी जागरण विधि | कुंडलिनी जागरण कैसे करें
इन शक्तियों को ही भारतीय योगदर्शन में कुण्डलिनी कहा गया है। यह दिव्य शक्ति मानव शरीर में मूलाधार (रीढ़ की हड्डी का निचला हिस्सा) में सुषुप्तावस्था में रहती है। यह रीढ़ की हड्डी के आखिरी हिस्से के चारों ओर साढ़े तीन आँटे लगाकर कुण्डली मारे, सोए हुए सांप की तरह सोई रहती है। इसीलिए यह कुण्डलिनी कहलाती है। जब कुण्डलिनी जागृत होती है तो यह सहस्रार में स्थित अपने स्वामी से मिलने के लिये ऊपर की ओर उठती है। जागृत कुण्डलिनी पर समर्थ सद्गुरु का पूर्ण नियंत्रण होता है, वे ही उसके वेग को अनुशासित एवं नियंत्रित करते हैं। गुरुकृपा रूपी शक्तिपात दीक्षा से कुण्डलिनी शक्ति जागृत होकर 6 चक्रों का भेदन करती हुई सहस्रार तक पहुँचती है। कुण्डलिनी द्वारा जो योग करवाया जाता है उससे मनुष्य के सभी अंग पूर्ण स्वस्थ हो जाते हैं। साधक का जो अंग बीमार या कमजोर होता है मात्र उसी की योगिक क्रियायें ध्यानावस्था में होती हैं एवं कुण्डलिनी शक्ति उसी बीमार अंग का योग करवाकर उसे पूर्ण स्वस्थ कर देती है।
इससे मानव शरीर पूर्णतः रोगमुक्त हो जाता है तथा साधक ऊर्जा युक्त होकर आगे की आध्यात्मिक यात्रा हेतु तैयार हो जाता है। शरीर के रोग मुक्त होने के सिद्धयोग ध्यान के दौरान जो बाह्य लक्षण हैं उनमें योगिक क्रियाऐं जैसे दायें – बाएँ हिलना कम्पन, झुकना, लेटना, रोना, हंसना, सिर का तेजी से घूमना, ताली बजाना, हाथों एवं शरीर की अनियंत्रित गतियाँ, तेज रोशनी या रंग दिखाई देना या अन्य कोई आसन, बंध, मुद्रा या प्राणायाम की स्थिति आदि मुख्यतः होती हैं। साधक की कुण्डलिनी चेतन होकर सहस्त्रार में लय हो जाती है, इसी को मोक्ष कहा गया है।
कुंडलिनी शक्ति
कुण्डलिनी शक्ति मंत्र yaha se praapt karein
Free Online Yoga Basics at home | Beginners Yoga | Beginners yoga class | Beginner yoga | Yoga at home | GuruSiyag.org
Queries Solved:
● beginners yoga
● beginners yoga class
● beginner yoga
● yoga at home
● kundalini awakening
● kundalini meditation
● kundalini energy
#guru_siyag #gurusiyagkundalinimeditation #gurusiyagmantra #gurusiyagsiddhayoga
#beginners_yoga #beginners_yoga_class #beginner_yoga #yoga_at_home #siddhayogatv
#health #yoga #meditation #spirituality #healing #life #quotes #hindi #motivational
#life_quotes #relax_relaxing_relaxation_music_meditation_sleep #gurusiyag
#kundaliniawakening #kundalinimeditation #kundalinienergy