पेड़ पौधे और किसान प्राथमिक उत्पादक होते हैं,
जिनके बिना न जीवन संभव है और न लोकतंत्र, इनके कंधे पर बंदूक रख के सब अपना हित साधते हैं, देखते हैं कौन आगे बढ़ के कुछ करता है,अभी नहीं तो कभी नहीं
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"बहुत से गुरु कहते हैं कि 20 साल तक ऐसा करो तो आपकी कुण्डलिनी जागृत हो जायेगी,20 साल तक गुरु-चेला रहेंगे इसकी है गारंटी? अगर मुझमें कुछ गुंजाइश है तो काम अभी शुरू हो जायेगा,20 साल नही लगेंगे,
जिनके बिना न जीवन संभव है और न लोकतंत्र, इनके कंधे पर बंदूक रख के सब अपना हित साधते हैं, देखते हैं कौन आगे बढ़ के कुछ करता है,अभी नहीं तो कभी नहीं
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"बहुत से गुरु कहते हैं कि 20 साल तक ऐसा करो तो आपकी कुण्डलिनी जागृत हो जायेगी,20 साल तक गुरु-चेला रहेंगे इसकी है गारंटी? अगर मुझमें कुछ गुंजाइश है तो काम अभी शुरू हो जायेगा,20 साल नही लगेंगे,
आप जन्म से पूर्ण हो लेकिन समझ नही पा रहे कि आप क्या हो?
आप शरीर नही हो,आप आत्मा हो, मैं आपको अपने आप से साक्षात्कार करवाऊंगा,आपका अपने आप से introduction करवाऊंगा,दूंगा कुछ नहीं, जो कुछ है आपके अंदर है बाहर से आपको किसी से कोई उम्मीद नही रखनी चाहिए "- गुरु सियाग
साधक का अर्थ है : जो अब सिर्फ सुनना नहीं चाहता, समझना नहीं चाहता, बल्कि प्रयोग भी करना चाहता है; प्रयोग साधक का आधार है |
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अब वह कुछ करके देखना चाहता है | अब उसकी उत्सुकता नया रूप लेती है, कृत्य बनती है | अब वह ध्यान के सम्बन्ध में बात ही नहीं करता, ध्यान करना शुरू करता है | क्योंकि बात से क्या होगा, बात में से तो बात निकलती रहती है | बात तो बात ही है, पानी का बबूला है, कोरी गर्म हवा है -- कुछ करें | जीवन रूपांतरित हो कुछ, कुछ अनुभव में आये |
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सिद्धयोग, योग के दर्शन पर आधारित है जो कई हजार वर्ष पूर्व प्राचीन ऋषि मत्स्येन्द्रनाथ जी ने प्रतिपादित किया तथा एक अन्य ऋषि पातंजलि ने इसे लिपिबद्ध कर नियम बनाये जो ‘योगसूत्र‘ के नाम से जाने जाते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार मत्स्येन्द्रनाथ जी पहले व्यक्ति थे जिन्होंने इस योग को हिमालय में कैलाश पर्वत पर निवास करने वाले शास्वत सर्वोच्च चेतना के साकार रूप भगवान शिव से सीखा था। ऋषि को, इस ज्ञान को मानवता के मोक्ष हेतु प्रदान करने के लिये कहा गया था। ज्ञान तथा विद्वता से युक्त यह योग गुरू शिष्य परम्परा में समय-समय पर दिया जाता रहा है।
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गुरुदेव द्वारा प्रदत्त आराधना पथ अतयंत सरल आडम्बर और कर्मकांडो से रहित है। किसी भी कर्मकांड की जरुरत नहीं है। कही पर ध्यान कही भी बैठ कर किया जा सकता है । किसी प्रकार के तिलक छापे 'विशेष रंग के वस्त्र पहनने ' रंग विशेष का आसन बिछाने की जरुरत नहीं होती है।
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more about #GuruSiyag #Yoga in various(National & International) newspapers--->http://spirtualworld.blogspot.com/search/label/news-paper
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For More Information:
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अब वह कुछ करके देखना चाहता है | अब उसकी उत्सुकता नया रूप लेती है, कृत्य बनती है | अब वह ध्यान के सम्बन्ध में बात ही नहीं करता, ध्यान करना शुरू करता है | क्योंकि बात से क्या होगा, बात में से तो बात निकलती रहती है | बात तो बात ही है, पानी का बबूला है, कोरी गर्म हवा है -- कुछ करें | जीवन रूपांतरित हो कुछ, कुछ अनुभव में आये |
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सिद्धयोग, योग के दर्शन पर आधारित है जो कई हजार वर्ष पूर्व प्राचीन ऋषि मत्स्येन्द्रनाथ जी ने प्रतिपादित किया तथा एक अन्य ऋषि पातंजलि ने इसे लिपिबद्ध कर नियम बनाये जो ‘योगसूत्र‘ के नाम से जाने जाते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार मत्स्येन्द्रनाथ जी पहले व्यक्ति थे जिन्होंने इस योग को हिमालय में कैलाश पर्वत पर निवास करने वाले शास्वत सर्वोच्च चेतना के साकार रूप भगवान शिव से सीखा था। ऋषि को, इस ज्ञान को मानवता के मोक्ष हेतु प्रदान करने के लिये कहा गया था। ज्ञान तथा विद्वता से युक्त यह योग गुरू शिष्य परम्परा में समय-समय पर दिया जाता रहा है।
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गुरुदेव द्वारा प्रदत्त आराधना पथ अतयंत सरल आडम्बर और कर्मकांडो से रहित है। किसी भी कर्मकांड की जरुरत नहीं है। कही पर ध्यान कही भी बैठ कर किया जा सकता है । किसी प्रकार के तिलक छापे 'विशेष रंग के वस्त्र पहनने ' रंग विशेष का आसन बिछाने की जरुरत नहीं होती है।
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Guru Siyag Siddha Yoga is always free of charge
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इसके लिए आपसे किसी प्रकार की कभी भी कोई एंट्री फी,किसी भी प्रकार की टिकेट,किसी भी प्रकार की कोई पैकेज फी,कोई चार्ज कोई पैसा नही लिया जाता।
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इसके लिए आपसे किसी प्रकार की कभी भी कोई एंट्री फी,किसी भी प्रकार की टिकेट,किसी भी प्रकार की कोई पैकेज फी,कोई चार्ज कोई पैसा नही लिया जाता।
What is the function and benefits of this #Yoga
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Everybody should know something about kundalini as it represents the coming consciousness of mankind. Kundalini is the name of a sleeping dormant potential force in the human organism and it is situated at the root of the spinal column.
It takes only 15 to 20 minutes to experiment it.
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Everybody should know something about kundalini as it represents the coming consciousness of mankind. Kundalini is the name of a sleeping dormant potential force in the human organism and it is situated at the root of the spinal column.
It takes only 15 to 20 minutes to experiment it.
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