✅ Highlights of the day:

The Science and Spirituality of meditation: Documentary->https://youtu.be/MthXWBIf7XM
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 Verification of patients in front of doctors and media-->https://youtu.be/hunYv1Bm7cc



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एक साधक की अनुभूति
Professional गुरुओं के यहाँ पर जा कर और सत्संगी परिवार होते हुए भी कुछ प्राप्त न होना
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मेरा गाँव आगरा से 90 किलोमीटर दूर है,यहाँ professional गुरुओं का बहुत ज्यादा बोलबाला है,गाँव के गाँव अलग अलग गुरुओ से जुड़े हुए हैं
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मेरा पूरा परिवार राधास्वामी से जुड़ा हुआ है,मेरी दादी सत्संग करातीं थी, (हर Sunday को),तो बचपन से ही मुझे ऐसा माहौल मिला था,मैं गुरु के महत्तव को बचपन से ही जानता था
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ननिहाल में भी मेरे नाना के भाई सत्संग कराया करते थे,सतपाल महाराज का
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नानी के मायके में संत निरंकारी,जय गुरुदेव,भोले जी आदि
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मतलब ये कि छोटा था तो हर कोई मुझे कही न कही ले जाता था,
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कोई मिट्टी सेवा करवा रहा है,कोई चाँदी के जूते पहन के दर्शन करवा रहा है,भेंट चढ़वा रहा है इत्यादि इत्यादि, कही मुझे ध्यान और नाम दान का मौका नहीं मिला,सिर्फ पाखंड ही दिखाई पड़ा
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कभी कभी अपनी दादी से अपने पापा से कहा करता था कि मुझे भी भजन करना है,मुझे भी नाम दिलवाओ तो सब ये कह के टाल देते थे,कि अभी छोटा है जब 18 साल का हो जायेगा तब भजन करना
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ध्यान/ईश्वर/गुरु किसी के बारे में कुछ भी नही सोचना
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फिर बड़ा हुआ पढाई लिखाई के चक्कर में फँस गया और भूल गया सब कुछ फिर कभी नही सोचा ध्यान बगैरह के बारे में और टाल दिया सब कुछ
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मैंने कभी नही सोचा था कि मेरे गुरु राजस्थान में मिलेंगे,मैं नाथसंप्रदाय से जुड़ूंगा,काजलावास,जामसर,पलाना ये मेरे धाम बन जायेंगे,सिद्धयोग क्या होता है,कुण्डलिनी जागरण क्या होता है,ध्यान कैसे करते हैं मुझे कुछ नही पता था और न ही मेरी कोई रूचि थी इन सब में
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कहने का मतलब ये कि मेरे मन में ऐसा कुछ नही रहा था अब कि जो बचपन में रहा करता था कि ध्यान करूँ बगैरह
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कोटा का दशहरा मेला और सिद्धयोग की स्टॉल
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बात 2005 की है कोटा का दशहरा मेला बड़ा famous है,

घूमते घूमते गुरुदेव के स्टॉल तक पहुंचा, वहां पोस्टर बगैरह लगे थे क़ि कुण्डलिनी जागरण से सब रोग ठीक हो जाते हैं ये हो जाता है वो हो जाता है,मैं कुछ नही जानता था कि कुण्डलिनी जागरण क्या करता है?


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न कोई जिज्ञासा थी,न कोई मन था,न मुझे गुरु बनाने थे,न मुझे ध्यान बगैरह में कोई रूचि थी,पोस्टर बगैरह पढ़े,महर्षि अरविन्द बगैरह के बारे में भी पढ़ा,एक अक्षर भी मेरे कुछ समझ नहीं आया और न वहाँ कोई समझाने वाला था
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अंदर गया एक छोटा सा ध्यान कक्ष था वहाँ एक अंकल मिले मैंने कहा अंकल मेरे तो एक ढेला भी समझ नही आया आपने पता नही क्या क्या लिखवा दिया है,मेरे तो सब ऊपर से निकल गया
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उन्होंने कहा बेटा आप science पढ़ते हो,ये mega science है(फिर नया शब्द,फिर समझ नही आया)
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उन्होंने कहा कि ये mega science है,ऐसे समझ नही आएगी आप practical कर के देखो
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उन्होंने ध्यान का तरीका बताया और ध्यान कक्ष से बाहर चले गए,मैंने ध्यान किया जिंदगी में पहली बार और मेरा ध्यान लग गया,बिना नाम दान लिए(तब मैंने मन्त्र दीक्षा नही ली थी,क्योंकि तब इतना सुलभ नही था मन्त्र लेना जितना आज है-आप लोग बहुत भाग्यशाली हैं जो आपको इतनी आसानी से ये सब मिल रहा है)



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3
साल बिना मंत्र दीक्षा के ध्यान
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मैंने 3 साल बिना दीक्षा के ही ध्यान किया(क्योंकि उसके बाद में जयपुर आ गया अगले साल,नेट बगैरह इतना जानता नही था और इतना बड़ा भी नही था कि अकेले जोधपुर जा के दीक्षा ले आऊं) और मेरे शरीर में तरह तरह की यौगिक क्रियाएं होती थी,लेकिन कभी कोई अनुभूति नही हुयी।
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कैसे एक गुरु अपने शिष्य को बिना किसी बाह्य आडंबर के मीलों दूर से खींच लेता है?
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कॉलेज तो शायद 10 जनवरी को खुलने थे,लेकिन मैं 31 दिसंबर 2008 को ही घर से आ गया था पता नही क्यों, ज्यों ही जयपुर में enter हुआ बड़े बड़े पोस्टर लगे थे क़ि 1 जनवरी 2009 को गुरुदेव का प्रोग्राम है जयपुर में
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Venue
पर पहुँचा,भीड़ बहुत थी तो जगह पीछे मिली,गुरुदेव आये भारतीय योग दर्शन के बारे में बताया और मन्त्र दीक्षा दी फिर ध्यान कराया 15 मिनट बस छुट्टी
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मुश्किल से 1 घंटे के कार्यक्रम था,मतलब कोई दिखावा नही,कोई पाखंड नही,कोई इधर उधर की बात नही,कोई पैसा नही,कोई एंट्री फी नही
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वहाँ कार्यक्रम में ध्यान किया था तो कोई अनुभूति नही हुयी मुझे बस जो पहले यौगिक क्रियाएँ होती थी बस वही हुयी कुछ खास नही,एक बात खास हुयी थी क़ि मैं न तो रो रहा था और न मुझे कोई ख़ुशी थी एकदम विचार शून्य था और मेरे आंसू अपने आप बह रहे थे और रुक नही रहे थे।
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मेरी पहली आध्यात्मिक अनुभूति(My first spiritual experience)
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बात 2 जनवरी 2009 की है,नया नया जोश था सुबह 5 बजे उठ के नहाया और ध्यान करने बैठ गया और मुझे पहली अनुभूति हुयी वो आपके साथ शेयर कर रहा हूँ
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जैसे ही मैं ध्यान में बैठा,मेरा ध्यान लग गया और सबसे पहले स्वास्तिक () दिखा और इतनी तेज घूमा clock wise कि यह (ॐ) बन गया,जो लोग थोड़े बहुत आध्यात्म से परिचित हैं या थोडा बहुत चक्र या कुण्डलिनी विज्ञान जानते है वो इस बात को जरूर समझ गए होंगे कि इसका क्या मतलब होता है और ऐसा कितनी सालो में होता है
मैंने तो कोई प्रयास भी नही किया था और न मुझे पता था कि ऐसा होगा फिर तो अनुभूतियों के अम्बार लग गए
हर दिन नयी और दिव्य अनुभितिया
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आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत कहाँ से होती है
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आज्ञा चक्र तक पहुचने के 3 रास्ते होते हैं और सैकड़ों विधियाँ होती हैं(ये रास्ते बने बनाये होते हैं) और आज्ञा चक्र से आगे सिर्फ एक ही रास्ता होता है(ये रास्ता बनाना पड़ता है)
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आज्ञाचक्र तक पहुँचाने के लिए अलग अलग क्रियाएँ,अलग अलग तरीके अपलब्ध हैं और इसके लिए लोगो से मोटी फीस ली जाती है,कहीं 25 हजार कही 5 हजार कही 10 हजार,जो फीस नही ले रहा वो सेवा के नाम पर ठग रहे हैं,और आज्ञा चक्र से ऊपर की बात पर सबके हाथ खड़े हो जाते हैं(और कोई भी पूर्णता की बात नही करता-1 चक्र या 1 कोश कम बताये जाते हैं,और हजार तरह के Restrictions लगाये जाते हैं जैसे अपनी अनुभूतिया नही बतानी,ऐसा किया तो वैसा हो जायेगा, ये नहीं करना वो नही करना etc etc- जबकि यहाँ ऐसा कुछ भी नही है) जबकि यहाँ न तो कोई पैसा लिया जाता है और न कोई सेवा और आपकी यात्रा आज्ञाचक्र से शुरू होती है,आज्ञाचक्र तक पहुचने में कितनी देर लगती है ये ऊपर बताया जा चुका है जबकि कोई कहता है क़ि 20 साल ऐसा करो,कोई कहता है इतने पैसे दो,कोई कहता है क़ि ऐसा हो नही सकता,और उसके आगे क्या होगा कह देते हैं कि अगले जन्म में शुरू होगा
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और अगर पूछो कि कोई फर्क नही पड़ा हमारे तो नाम लेने के बाद कोई परिवर्तन नही आया तो कह देते हैं कि आपने नाम सही से नही जपा होगा
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मन्त्र की महत्ता(मन्त्र शास्त्र की पुस्तक में हजारो लाखो मन्त्र लिखे मिल जायेंगे लेकिन कोई भी मन्त्र बिना शक्ति के काम नही करता मतलब गुरु की आवाज में ही सुनने से ही फायदा होता है)
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अब आ जाते हैं नामजप पर, ये अनुभूतिया मुझे सिर्फ और सिर्फ गुरुदेव द्वारा मन्त्र सुन कर ही हो गयी थी जबकि मन्त्र दीक्षा से पहले 1 अनुभूति नही हुयी थी,और मैं मन्त्र जपने में गलती करता था ध्यान में मुझे कई बार समझाया गुरुदेव ने दादा गुरुदेव ने लेकिन मैंने 1 साल तक गलत उच्चारण से ही मन्त्र जपा बाद में जब मंत्र दीक्षा की CD आई तब जा के सही जपना शुरू किया छोटी सी गलती करता था
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मतलब ये कि मन्त्र इतना चेतन और powerful है कि एक बार गुरुदेव की आवाज में मन्त्र सुन लिया और जपना शुरू कर दिया तो परिणाम मिलना शुरू हो जाते हैं इंतजार नही करना पड़ता 20 साल का
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पोस्ट बहुत बड़ी हो गयी है,बहुत अनुभूतिया हैं,बाकी बातें फिर कभी
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एक छोटा सा निवेदन और नाथमत का प्रसाद
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मुझे नही पता कि ये पोस्ट पढ़ कर आप क्या सोचते हो आपकी क्या प्रतिक्रिया रहती है,एक निवेदन जरूर करूँगा कि एक बार ध्यान जरूर कर के देखें,और अपनी आध्यत्मिक यात्रा का आनंद लें,ये योग नाथमत का प्रसाद है काजलावास/जामसर में नाथो की जीवित समाधियां हैं आज भी,
और एक निर्जीव फोटो से ध्यान लग जाता है वो भी जितना आप कहो उतना अगर आप 15 मिनट ध्यान की बोलेंगे तो न 14 मिनट होंगी न 16 मिनट ठीक 15 मिनट बाद आपकी आँखे खुल जाएँगी
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वैसे तो सिद्धयोग के बारे में जितना कहा जाये और लिखा जाये वो कम ही पड़ेगा क्योंकि यह महसूस करने का विषय है,लेकिन 2 बातें मुझे सबसे ज्यादा अच्छी लगती हैं 1 तो ये कि जब छोटे छोटे बच्चों को ध्यान करते हुए देखता हूँ तो बहुत ख़ुशी होती है,(क्योंकि जो कमी बचपन में मैंने महसूस की थी वो सिद्धयोग पूरी करता है बिना किसी पूर्व शर्त के)और दूसरी ये क़ि आप कही भी हो(दुनिया में कही पर भी ध्यान कर सकते हैं आपको अपना धन और समय बर्बाद करने की जरुरत नहीं है) कोई भी हो(आप किसी भी धर्म/जाति/वर्ण के हो),कैसे भी हो(आपको अपनी दैनिक दिनचर्या और खान पान बदले की कोई जरुरत नही है) सिद्धयोग आपका खुले हृदय से स्वागत करता है
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एक साधक

(Disclaimer-इस पोस्ट का मतलब किसी की आलोचना और तुलना करना और किसी की भावना को ठेस पहुचाना बिलकुल नहीं है,केवल ध्यान और समाधी की अवस्था में हुयीं व्यक्तिगत अनुभूतिया ,आँखों से प्रत्यक्ष देखे गए दृश्य ,स्वयं के अनुभव हैं और सिर्फ जागरूकता के लिए हैं कि ये चीज भी हमारे देश भारत में उपलब्ध है)
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सिद्धयोग
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सिद्धयोग, योग के दर्शन पर आधारित है जो कई हजार वर्ष पूर्व प्राचीन ऋषि मत्स्येन्द्रनाथ जी ने प्रतिपादित किया तथा एक अन्य ऋषि पातंजलि ने इसे लिपिबद्ध कर नियम बनाये जो योगसूत्रके नाम से जाने जाते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार मत्स्येन्द्रनाथ जी पहले व्यक्ति थे जिन्होंने इस योग को हिमालय में कैलाश पर्वत पर निवास करने वाले शास्वत सर्वोच्च चेतना के साकार रूप भगवान शिव से सीखा था। ऋषि को, इस ज्ञान को मानवता के मोक्ष हेतु प्रदान करने के लिये कहा गया था। ज्ञान तथा विद्वता से युक्त यह योग गुरू शिष्य परम्परा में समय-समय पर दिया जाता रहा है।
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"
बहुत से गुरु कहते हैं कि 20 साल तक ऐसा करो तो आपकी कुण्डलिनी जागृत हो जायेगी,20 साल तक गुरु-चेला रहेंगे इसकी है गारंटी? अगर मुझमें कुछ गुंजाइश है तो काम अभी शुरू हो जायेगा,20 साल नही लगेंगे, आप जन्म से पूर्ण हो लेकिन समझ नही पा रहे कि आप क्या हो? आप शरीर नही हो,आप आत्मा हो, मैं आपको अपने आप से साक्षात्कार करवाऊंगा,आपका अपने आप से introduction करवाऊंगा,दूंगा कुछ नहीं, जो कुछ है आपके अंदर है बाहर से आपको किसी से कोई उम्मीद नही रखनी चाहिए "- गुरु सियाग
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सिद्धयोग के लाभ (पूर्णतः निःशुल्क) :
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(1)
इससे साधक को सभी प्रकार के रोगों जैसे कैंसर, एच आई वी, गठिया, दमा व डायबिटीज आदि(आनुवंशिक रोग भी जैसे हीमोफीलिया आदि) शारीरिक रोगों से मुक्ति मिल जाती है।
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(
ऐसा नही है कि सरकार को इन सब बातों का पता न हो लेकिन अज्ञात कारणों से भारत सरकार 20 सालों से मौन है,सिद्धयोग के volunteers जाते भी हैं सहयोग के लिए तो उन्हें टाल दिया जाता है(यहाँ सहयोग का मतलब धन के सहयोग से नही है)-भारत सरकार को पता है कि भारत एड्स को पछाड़ चुका है,फिर भी सरकार को गूंगी,अंधी,और बहरी होने का अभिनय करना पड़ता है-अगर ये अभिनय बंद हो जाये तो भारत के 1.25 अरब लोगो के साथ विश्व के भी असंख्य लोगो का भला होने में कुछ महीनो से ज्यादा का भी समय नही लगेगा और मौके बार-बार और हर किसी को नही मिलते-जाग सको तो जागो, सो तो आप जन्मों से रहे हो)
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(2)
सभी प्रकार के नशों जैसे शराब, अफीम, स्मैक, हीरोइन, बीडी, सिगरेट, गुटखा, जर्दा आदि से बिना परेशानी के छुटकारा।
(3)
मानसिक रोग जैसे भय, चिंता, अनिद्रा, आक्रोश, तनाव, फोबिया आदि से मुक्ति।
(4)
अध्यात्मिकता के पूर्ण ज्ञान के साथ भूत तथा भविष्य की घटनाओं को ध्यान के समय प्रत्यक्ष देख पाना संभव।
(5)
एकाग्रता एंव याददाश्त में वृद्धि।
(6)
साधक को उसके कर्मों के उन बंधनों से मुक्त करता है जो निरन्तर चलने वाले जन्म
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मृत्यु के चक्र में उसे बांध कर रखते हैं।
(7)
साधक को उसकी सत्यता का भान एंव आत्म साक्षात्कार कराता है।
(8)
गृहस्थ जीवन में रहते हुए भोग और मोक्ष के साथ ईश्वर की प्रत्यक्षानुभूति।
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Guru Siyag Siddha Yoga The Way, Meaning, Means, and Method of meditation.
more about #GuruSiyag or #SiddhaYoga in various(National & International) newspapers--->http://spirtualworld.blogspot.com/search/label/news-paper


4 comments:

  1. 🙏🌺 जय गुरुदेव जी 🌺🙏
    जाति , धर्म , देश की सीमाओं से मुक्त ,,,,
    समग्र मानवता के लिये,,,,,,
    शारीरिक, मानसिक रोगों व नशों से मुक्ति एवं
    ईश्वर की प्रत्यक्षानुभूति हेतु सहज सरल समाधान
    " गुरुदेव सियाग सिद्धयोग "
    जिसमें ,,, कि ,,,,,
    विभिन्न प्रकार के आसन प्राणायाम मुद्राएँ आदि,,,,
    गुरूदेव सियाग द्वारा दिये जाने वाले ,,,,
    दिव्य संजीवनी मंन्त्र के जाप के साथ,,,
    आज्ञा चक्र पर गुरूदेव का ध्यान करने मात्र से
    बिना किसी शारीरिक बौद्धिक प्रयास के
    शारीरिक आवश्यकतानुसार
    रोगों व नशों के निवारणार्थ
    स्वतः होने लगते हैं।
    अधिक जानकारी के लिये
    वेबसाईट देखें या सम्पर्क करें ।।।।
    अध्यात्म विज्ञान सत्संग केन्द्र,(AV.S.K.)
    चौपासनी होटल लेरिया के पास जोधपुर( राज.)
    0291 2753699 / +91 9784742595
    www.the-comforter.org
    Email: avsk@the-comforter.org
    संजीवनी मंत्र हेतु कॉल करें-07533006009
    यूट्यूब चैनल -------
    https://m.youtube.com/channel/UCEgr-rY3J5tuj0NM8n2lPDg?sub_confirmation=1

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  2. This GURU SIYAG SIDDH YOG IS VERY UNIQUE,VERY SPECIAL AND VERY POWERFUL .COME AND JOIN US TO EXPERIENCE IT.JAI GURUDEV 🙏🙏👍

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  3. This comment has been removed by the author.

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  4. Shandar anubhuti...Gurudev aap par aasim kripaa bnaye rkhe

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