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अगर एक छिपकली ऐसा कर सकती है,
तो हम क्यों नहीं कर सकते ???




मुझे मिला अब तक का सबसे बेहतरीन मैसेज ...
ये जापान में घटी सच्ची घटना है।
जापान में एक व्यक्ति अपने घर को तोड़ कर
दोबारा बनवा रहा था।
जापान में घरों में लकड़ी की दीवारों में आमतौर
पर खाली जगह रहती है।
जब उस घर की दीवारों को तोड़ रहे थे तो उस
दीवार की खाली जगह में एक छिपकली फंसी
हुई मिली। उस छिपकली के पैर में दीवार के बाहर
की तरफ से निकल कर एक कील घुसी हुई थी।
जब उस छिपकली को देखा तो उस पर तरस तो
आया ही साथ ही एक जिज्ञासा भी हुई
क्योंकि जब कील को जांचा गया तो पता चला
कि ये कील मकान बनाते समय 5 वर्ष पहले
ठोकी गई थी।
क्या हुआ था?
छिपकली 5 वर्षों से एक ही जगह फंसी रहने के
बावजूद जिन्दा थी!!
दीवार के एक छोटे से अँधेरे हिस्से में बिना
हिले-डुले 5 वर्षों तक जिन्दा रहना असम्भव
था।
ये वाकई हैरानी की बात थी कि छिपकली 5
वर्षों से जिन्दा कैसे थी! वो भी बिना एक कदम
हिलाये, क्योंकि पैर दीवार से निकली कील में
फंसा हुआ था।
सो वहाँ काम रोक दिया गया और छिपकली को
देखने लगे कि वो क्या करती है और क्या और
कैसे खाती है।
थोड़ी देर बाद पता नहीं कहाँ से एक और
छिपकली गई जिसके मुंह में खाना था।
ये देख कर लोग हैरानी से सुन्न हो गये और ये
बात उनके दिल को छू गई।
जो छिपकली पैर में कील घुसी होने की वजह से
एक ही जगह फंस गई थी, दूसरी छिपकली
पिछले 5 वर्षों से उसका पेट भर रही थी!!!!
अद्भुत! एक छिपकली द्वारा अपने साथी के
प्रति बिना उम्मीद छोड़े ये सेवा पिछले 5 वर्षों
से लगातार बिना थके चल रही थी।
अब आप सोचिये कि एक नन्हा सा जीव जो
काम कर सकता है क्या कोई बुद्धिमान
व्यक्ति उस काम को नहीं कर सकता।
कृपया अपने प्रियजनों का परित्याग ना करें।
जब उन्हें आपकी जरूरत हो उस समय उन्हें यह
ना कहें कि आप व्यस्त हैं और आपके पास
उनके लिये समय नहीं है।
हो सकता है कि आपके कदमों तले सारी दुनिया
हो
लेकिन उनके लिये केवल आप ही उनकी दुनिया
हो
आपकी उपेक्षा का एक पल उनके दिल को तोड़
सकता है जो आपके दिल में बसते हैं।
कुछ कहने से पहले ये याद रखें कि कुछ तोड़ने में
केवल एक पल लगता है जबकि बनाने में पूरा
जीवन लग जाता है !!



सिद्धयोग, योग के दर्शन पर आधारित है जो कई हजार वर्ष पूर्व प्राचीन ऋषि मत्स्येन्द्रनाथ जी ने प्रतिपादित किया तथा एक अन्य ऋषि पातंजलि ने इसे लिपिबद्ध कर नियम बनाये जोयोगसूत्रके नाम से जाने जाते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार मत्स्येन्द्रनाथ जी पहले व्यक्ति थे जिन्होंने इस योग को हिमालय में कैलाश पर्वत पर निवास करने वाले शास्वत सर्वोच्च चेतना के साकार रूप भगवान शिव से सीखा था। ऋषि को, इस ज्ञान को मानवता के मोक्ष हेतु प्रदान करने के लिये कहा गया था। ज्ञान तथा विद्वता से युक्त यह योग गुरू शिष्य परम्परा में समय-समय पर दिया जाता रहा है।


आज के इस अशान्त तथा भौतिकतावादी वातावरण में जो भी साधक ध्यान करते हैं वे विश्व का कल्याण करते हैं क्योंकि "जो पिंडे सो ब्रह्माण्डे'' जब-जब एक भी चित्त शान्त होता है, तो शान्ति से पूर्ण तरंगे ब्रह्माण्ड में भी शान्ति का संचार करती हैं।
ऐसे ही यदि अधिक से अधिक लोग ध्यान करें तो जगत में शान्ति स्थापित करने में ये बहुत बड़ा योगदान होगा, क्यूँकि हमारे भीतर की प्रकृति ही बाहर की प्रकृति को निर्धारित करती है। आज के युग में सबसे अधिक जिस वस्तु की आवश्यकता है वह है-शान्ति। तो क्यूँ हम सब प्रभु के दिए जीवन में से थोड़ा-थोड़ा समय ध्यान के लिए लगाकर स्वयं को तथा विश्व को शान्ति देने का महान कार्य करें?



Do it yourself to fulfil your spiritual desires when you want, where you want (Completely free of charge)



Please forward this message, might be useful for needy person. This is useful for those who really want to do Yoga and meditation.


Thank You for having patience and reading this.


Guru Siyag's Siddha YogaThe Way, Meaning, Means, and Method of Salvation/Yoga/meditation,

May you live a long and healthy life!

Siddha Yoga In Short:
Anyoneof any religion, creed, color, country
Anytimemorning, noon, evening, night
Any duration5, 10, 12, 15, 30 minutes. For as much time as you like.
Anywhereoffice, hosme, bus, train
Anyplaceon chair, bed, floor, sofa
Any positioncross-legged, lying down, sitting on chair
Any agechild, young, middle-aged, old
Any diseasephysical, mental and freedom from any kind of addiction
Any stressrelated to family, business, work

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