Inspirational Story in Hindi with moral : Be A Lake, Not A Glass: stay positive
एक बार एक परेशान और निराश व्यक्ति अपने गुरु के पास पहुंचा और बोला – “गुरूजी मैं जिंदगी से बहुत परेशान हूँ| मेरी जिंदगी में परेशानियों और तनाव के सिवाय कुछ भी नहीं है| कृपया मुझे सही राह दिखाइये|”
गुरु ने एक गिलास में पानी भरा और उसमें मुट्ठी भर नमक डाल दिया| फिर गुरु ने उस व्यक्ति से पानी पीने को कहा|
उस व्यक्ति ने ऐसा ही किया|
गुरु :- इस पानी का स्वाद कैसा है ??
“बहुत ही ख़राब है” उस ब्यक्ति ने कहा|
फिर गुरु उस व्यक्ति को पास के तालाब के पास ले गए| गुरु ने उस तालाब में भी मुठ्ठी भर नमक डाल दिया फिर उस व्यक्ति से कहा – इस तालाब का पानी पीकर बताओ की कैसा है|
उस व्यक्ति ने तालाब का पानी पिया और बोला – गुरूजी यह तो बहुत ही मीठा है|
गुरु ने कहा – “बेटा जीवन के दुःख भी इस मुठ्ठी भर नमक के समान ही है| जीवन में दुखों की मात्रा वही रहती है – न ज्यादा न कम| लेकिन यह हम पर निर्भर करता है कि हम दुखों का कितना स्वाद लेते है| यह हम पर निर्भर करता है कि हम अपनी सोच एंव ज्ञान को गिलास की तरह सीमित रखकर रोज खारा पानी पीते है या फिर तालाब की तरह बनकर मीठा पानी पीते है|”
Moral of The Story
“एक मुट्ठी भर नमक, एक गिलास में भरे मीठे पानी को खारा बना सकता है लेकिन वही मुट्ठी भर नमक अगर तालाब या झील में डाल दिया जाए तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा| इसी तरह अगर हमारे भीतर सकारात्मक उर्जा का स्तर ऊँचा है तो छोटी-छोटी परेशानियों एंव समस्याओं से हमें कोई फर्क नहीं पड़ेगा|”
Be A Lake, Not
A Glass
सिद्धयोग, योग के दर्शन पर आधारित है जो कई हजार वर्ष पूर्व प्राचीन ऋषि मत्स्येन्द्रनाथ जी ने प्रतिपादित किया तथा एक अन्य ऋषि पातंजलि ने इसे लिपिबद्ध कर नियम बनाये जो ‘योगसूत्र‘ के नाम से जाने जाते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार मत्स्येन्द्रनाथ जी पहले व्यक्ति थे जिन्होंने इस योग को हिमालय में कैलाश पर्वत पर निवास करने वाले शास्वत सर्वोच्च चेतना के साकार रूप भगवान शिव से सीखा था। ऋषि को, इस ज्ञान को मानवता के मोक्ष हेतु प्रदान करने के लिये कहा गया था। ज्ञान तथा विद्वता से युक्त यह योग गुरू शिष्य परम्परा में समय-समय पर दिया जाता रहा है।
इस युग का मानव भौतिक विज्ञान से शान्ति चाहता है परन्तु विज्ञान ज्यों-ज्यों विकसित होता जा रहा है, वैसे-वैसे शान्ति दूर भाग रही है और अशान्ति तेज गति से बढती जा रही है। क्योंकि शान्ति का सम्बन्ध अन्तरात्मा से है, अतः विश्व में पूर्ण शान्ति मात्र वैदिक मनोविज्ञान के सिद्धान्तों पर ही स्थापित हो सकती है। अन्य कोई पथ है ही नहीं। भारतीय योग दर्शन में वर्णित “सिद्धयोग” से विश्व शान्ति के रास्ते की सभी रुकावटों का समाधान सम्भव है।
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सिद्धयोग के लाभ (पूर्णतः निःशुल्क) :
(1) इसके साधक को सभी प्रकार के रोगों जैसे कैंसर, एच आई वी, गठिया, दमा व डायबिटीज आदि शारीरिक रोगों से मुक्ति मिल जाती है।
(2) सभी प्रकार के नशों जैसे शराब, अफीम, स्मैक, हीरोइन, बीडी, सिगरेट, गुटखा, जर्दा आदि से बिना परेशानी के छुटकारा।
(3) मानसिक रोग जैसे भय,
चिंता, अनिद्रा, आक्रोश, तनाव, फोबिया आदि से मुक्ति।
(4) अध्यात्मिकता के पूर्ण ज्ञान के साथ भूत तथा भविष्य की घटनाओं को ध्यान के समय प्रत्यक्ष देख पाना संभव।
(5)एकाग्रता एंव याददाश्त में वृद्धि।
(6)साधक को उसके कर्मों के उन बंधनों से मुक्त करता है जो निरन्तर चलने वाले जन्म
-मृत्यु के चक्र में उसे बांध कर रखते हैं।
(7) साधक को उसकी सत्यता का भान एंव आत्म साक्षात्कार कराता है।
(8)गृहस्थ जीवन में रहते हुए भोग और मोक्ष के साथ ईश्वर की प्रत्यक्षानुभूति।
सिद्धयोग में आपको दो कार्य करने हैं:-
i) ध्यान-
आपको सुबह सुबह शाम पन्द्रह मिनट तक समर्थ सद्गुरुदेव श्री रामलालजी सियाग के चित्र का ध्यान करना है। ध्यान से पहले गुरुदेव से पन्द्रह मिनट ध्यान में आने की प्रार्थना करें और उसके बाद आँखें बंद करके जहां हम माथे पर तिलक लगाते हैं यानि दोनों आखों के बीच में यह समझें कि गुरुदेव की फोटो विराजमान है व उस फोटो पर ध्यान केंद्रित करें व संजीवनी मंत्र का मानसिक जप करें। 15 मिनट बाद आप सामान्य स्थिति में आ जाएँगे।
ii) मन्त्र जप-
संजीवनी मन्त्र का दिन भर जब याद आ जाए तभी बिना जीभ होंठ हिलाए अधिक से अधिक मानसिक जप करते रहें।
संजीवनी मंत्र दीक्षा प्राप्त करने के लिए नीचे लिखे मोबाइल नंबर पर डायल करे।
(8010882288).
Guru Siyag Siddha Yoga The Way,
Meaning, Means, and Method of meditation.
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Thank You for having patience and
reading this.
May you live a long and healthy life!
Siddha Yoga In Short: | |||||||||||||||||||
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