Self statement of a diabetes cured patient
तीन दिन में डायबिटीज(षुगर) ठीक हुआ
सर्वप्रथम मैं अपने समर्थ सद्गुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग को सादर प्रणाम करता हूँ जिन्होंने मुझे नया जीवन प्रदान किया।
मैं सन् १९९५ में अचानक बीमार हो गया था। डॉक्टर के पास गया तो उन्होंने मुझे षुगर(डायबिटीज) की जाँच के लिये भेजा। जाँच में षुगर बढा हुआ आया। डॉक्टर ने दवाई देते हुए मुझे बोला कि आपको डायबिटिज हो गई है और लगातार जीवन भर दवाई लेनी पडेगी। ज्यादा तबीयत खराब होने पर मैं लुधियाना गया तथा डायबिटिज स्पेषलिस्ट डॉ. थापर क दिखाया । वहां से मैनें लगातार चार साल तक दवाइर्याँ ली। लेकिन मेरी तबीयत ठीक नहीं हो पाई। फिर मैंने जयपुर डॉक्टर षर्मा को दिखाया वहां पर भी डॉक्टर ने जीवन भर दवाई खाने को कह दिया। फिर कई जगह दिखाया वही दवाई लिखी गई । मेरी बीच में इतनी तबीयत खराब हो गई थी कि घरवालों ने अन्तिम सांस लेने के क्रम में मुझे बिस्तर से नीचे धरती पर उतार दिया था। पेषाब से खून आना, फेंफडों में टी.बी. हो जाना, हाथों का ऊपर न उठना जैसी कई बीमारियों ने घेर लिया था। मुझे जयपुर के लिये रेफर कर दिया। एक बार फिर मृत सा हो गया था। वहाँ पर थोडा फर्क पडा। फिर मैंने बीकानेर के डॉक्टर अग्रवाल को दिखाया। उन्होंने मुझे दवाई देकर घर भेज दिया, उससे मुझे कुछ राहत मिली लेकिन पूर्ण रूप से परेशानी मिटी नहीं तो मैं इलाज के लिए मुम्बई गया। उन्होंने मेरा पेषाब से खून रुकने का व टी.बी. का ईलाज चालू किया। कुछ दिनों का ईलाज लेने के बाद कुछ फायदा नहीं हुआ तो मैं वापिस बहरोड आ गया। फिर मैं जहां षुगर की जांच करवाता था उन्होंने मुझे पहले गुरुदेव के बारे में बताया था लेकिन मुझे विष्वास नहीं हुआ था।
मैंने ४-५ लाख रूपये इन बीमारीयों पर खर्च कर दिये लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ तो उनके आषीर्वाद,मंत्र जप व ध्यान से क्या होगा ? मुझे नहीं मालुम कि मंत्र व गुरु कृपा में इतनी शक्ति होती है! लेकिन उन्होंने भी जिद नही छोडी। फिर एक दिन बीकानेर में डॉ. अग्रवाल को दिखाने के लिये जा रहा था तो रास्ते मे यशकुमार जी शर्मा मिल गये उन्होंने मुझे बताया कि दो दिन बाद बीकानेर में ही गुरुदेव का षक्तिपात दीक्षा क्रार्यकम है, मैंने ऊपरी तोर पर हां करके चल दिया। लेकिन मेरे मन में कार्यकम में जाने की इच्छा नहीं थी। दूसरे दिन बीकानेर पहुँचकर डॉ. अग्रवाल को दिखया तो उन्होने षुगर की जांच की जिसमे मेरा षुगर (खाली पेट) ४७४ मिग्रा आया। डॉ. साहब ने कहा कि यह तो बहुत ज्यादा है। आप चल कर अकेले ही कैसे आ गये ? मेरे को भी झटका लगा तो मैने उस समय मन ही मन गुरुदेव को याद करके कहा कि ’गुरूदेव अब तक तो आफ पास नहीं आया लेकिन अब अवश्य आऊंगा। डॉ. साहब ने कहां कि आप कल इसी तरह फिर आना। दूसरे दिन सुबह खाली पेट गया तो षुगर २५९ रह गया। डॉ साहब क आष्चर्य हुआ। मैं षाम को होने वाले दीक्षा क्रार्यकम में गया। गुरुदेव से दीक्षा लेकर घर आया। मंत्र का सघन जप किया। सुबह फिर से डॉ. अग्रवाल से षुगर की जांच करवाई तो षुगर केवल १०९ पर आ गया था। इस तरह कल्कि अवतार श्री रामलाल जी सियाग के सानिध्य से मात्र तीन दिन में मेरी षुगर की बीमारी ठीक हो गई तथा पेषाब में खून आना व टी.बी. की बीमारी सभी धीरे-धीरे पूर्ण रूपसे ठीक हो गये।
मैं तो यही कहना चाहता हूँ कि ७२ वर्श की उम्र में गुरूदेव ने मुझे नया जीवनदान दिया है। दीक्षा लिये हुए लगभग ३-४ वर्श हो गये है। आज मेरे भगवान् श्री रामलाल जी सियाग की वजह से मेरा जीवन सुखमय,आनन्दमय, अध्यात्ममय है। मैं मेरे पिछले नारकीय जीवन को भूलाकर पूर्णरूप से सद्गुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग साहब के चरणों मे ध्यान लगाकर बिता रहा हूँ।
१.सन् १९९५ में अचानक बीमार पडा। २. डॉक्टर ने जाँच में डायबिटीज बताया। ३. अलवर,बीकानेर ,जयपुर, लुधियाना व मुम्बई आदि शहरों में इलाज कराया लेकिन बीमारी बढती गई। ४. फेंफडों की टी. बी. व पेशाब में खून का आना। ५. डॉक्टरों ने जीवन भी दवाईयाँ खाने की सलाह दी। ६. बीकानेर में डॉ. अग्रवाल से चैक कराया तो खाली पेट शुगर की मात्रा ४७४ मिलीग्राम आई। अचानक मुझे झटका लगा। उसी समय मुझे पूज्य सद्गुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग की याद आई। मैंने मन ही मन गुरुदेव से प्रार्थना की कि अब मुझ पर कृपा करो। दूसरे दिन जाँच कराने पर शुगर की मात्रा २५९ मिलीग्राम आई। ७. उसी दिन शाम को गुरुदेव से दीक्षा ली। ८. तीसरे दिन जाँच में शुगर की मात्रा १०९ आई।
९. जबकि अब तक इलाज में ४-५ लाख रुपये खर्च हो चुके थे।
अब गुरु कृपा से जीवन सुखमय व स्वास्थ्यमय हैं।-
नत्थुराम
नये अस्पताल के पास
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