Alakh Niranjan Meaning in Hindi | अलख निरंजन का अर्थ जाने 🕉️ अलख निरंजन भावार्थ
Alakh Niranjan Meaning: इस पोस्ट में हम जानेंगे कि 'अलख निरंजन' जो कि नाथ मत में एक संबोधन के रूप में आप सबने सुना होगा तो सबसे पहले हम इसके शाब्दिक अर्थ को जानेंगे, फिर उसके आध्यात्मिक अर्थ को जानेंगे, उसके बाद जानेंगे कि नाथ संप्रदाय में इसका क्या अर्थ है तो आईये शुरू करते हैं
अलख निरंजन का शाब्दिक अर्थ (Alakh Niranjan Word Meaning)
अलख का शाब्दिक अर्थ है 1. अगोचर | इंद्रियातित | अदृश्य | अप्रत्यक्ष | 2. ब्रह्म | ईश्वर | परमात्मा | परब्रह्म | अक्षर ब्रह्म | 3. विभूसता | (मन, बुद्धि, इन्द्रियांदिको से न देख पाना | जिसका ज्ञान इन्द्रयों द्वारा प्राप्त करना असम्भव हो | जिसे प्राकृतिक साधनाओ, करणों द्वारा प्राप्त न किया जा सके )
Alakh
1. Agochar | Indryatit | Adrishya | Apratyaksh |
2. Brahm | Ishwar | Parmatma | Parbrahm | Akshar brahm | Vibhusata |
Niranjan
निरंजन का शाब्दिक अर्थ है अंजन रहित । बिना काजल का । जैसे, निरंजन नेत्र कल्मषशून्य़ । दोषरहित माया से निर्लिप्त (ईश्वर का एक विशेषण) सादा । बिना अंजन आदि का, परमात्मा । महादेव ।
अलख निरंजन का आध्यात्मिक अर्थ ( Alakh Niranjan Spiritual Meaning)
अलख निरंजन एक शब्द है जिसका उपयोग नाथ योगियों द्वारा सृष्टिकर्ता को संदर्भित करने और ईश्वर और आत्मा के गुणों का वर्णन करने के लिए किया जाता है। इसका अर्थ है "वह जिसे पहचाना नहीं जा सकता" और "वह जो रंगहीन है", यह दर्शाता है कि इसे महसूस या अनुभव नहीं किया जा सकता है।
इसको निराकार ब्रह्म परमपिता परमेश्वर के रूप में जाना जाता है जो इन्द्रियातीत है इन इन्द्रियों से परे है जो दृष्टिगोचर है इन आँखों से अगोचर है उसको हम प्रणाम करते हैं
अलख निरंजन का नाथ संप्रदाय में अर्थ (Alakh Niranjan Meaning in Nath Sect)
नाथ संप्रदाय में अघोरपंथियों के अनुसार अलख का अर्थ है जगाना या पुकारना और निरंजन का अर्थ है अनंत काल का स्वामी अर्थात अलख निरंजन का घोष करके वे कहते हैं कि हे अनंत काल के स्वामी जागो देखो हम पुकार रहे हैं, अलख का अर्थ है अगोचर जो देखा न जा सके निरंजन परमात्मा को कहते हैं, जानो पहचानो उस परमात्मा को जो आपका असली स्वरूप है, अपने अंधकार का त्याग करके इस माया से बाहर निकलो अपने असली स्वरुप को पहचानो,
अलख का अर्थ है लौ और निरंजन का अर्थ है सत्य या ईश्वर अर्थात सत्य की लौ हमेशा जलती रहे, साधु संत जहाँ तपस्या करते हैं वहां हमेशा एक धूनी जलती रहती है जिसे अलख कहा जाता है और आशीर्वाद देते समय भी कहा जाता है अलख निरंजन अर्थात सत्य हमेशा जीवित रहे, सत्य हमेशा विजयी रहे
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