Cure from Kidney stone problem by Guru Siyag Yoga
Self statement of a patient cured of Kidney stone disease
मैं सत्यवान सिंह भारतीय नौसेना में कार्यरत हूँ। सबसे पहले मैं पूज्य सद्गुरुदेव श्री रामलालजी सियाग के चरण कमलों में कोटि-कोटि नमन करता हूँ। मैं सन् १९९२ से गुर्दे की पथरी से परेशान था। बहुत भंयकर दर्द होता था। सन् १९९६ में मैंने नजफगढ, दिल्ली से पथरी के लिए ४५ दिन की देशी दवाई ली। जिससे एक काफी बडा पत्थर का टुकडा पेशाब में निकला, लेकिन पूरी पथरी नहीं निकली।
मैंने फरवरी २००६ में एक्स-रे करवाया जिसमें दाहिने गुर्दे में काफी बडी पथरी दिखाई दी। एयरफोर्स के डाक्टर ने उसी दिन सैनिक अस्पताल नासिक रेफर कर दिया। नासिक से डाक्टर न अश्विनी नेवी अस्पताल में रेफर कर दिया। २९.४.२००६ को प्ण्छण्भ्ण्ैण् अश्विनी अस्पताल में मेरा ;च्ब्छस्द्ध सर्जरी हुआ, जिसमें बडी पथरी को तोडकर बाहर निकाला। ऑपरेशन के बाद जब एक्स-रे हुआ तो पाँच टुकडे पथरी के दिखाई दिये जो ऑपरेशन के दौरान गुर्दे में छूट गए थे।
पाँचों टुकडों को निकालने के लिए अस्पताल के चक्कर लगने शुरू हो गए। इन पथरियों को तोडने के लिए तीन बार लेजर थैरेपी (१३ जून २००६, ०४ अगस्त २००६ तथा २४ अक्टुबर २००६) हुई। लेजर थैरपी में पत्थर को मशीन द्वारा शरीर में ही पाउडर बना दिया जाता है, जिससे टूटी हुई पत्थरी पेशाब के साथ बाहर निकल जाती है। तीनों बार पथरी बिल्कुल भी नहीं टूटी। ३०.१२.२००६ को एक बार फिर ;च्ब्छस्द्ध ऑपरेशन किया जिसमें सिर्फ एक पथरी निकाली और चार पथरी फिर भी नहीं निकल पाई।
मैंने फरवरी २००६ से फरवरी २००९ तक बहुत देशी दवाइयाँ खाई, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इसी दौरान नागल चौधरी हरियाणा से एक भगतजी ने दो-दो लीटर नीम्बू के जूस बनाकर दी, जिसे मैंने पूरे परहेज के साथ ली,लेकिन बिल्कुल भी फायदा नहीं हुआ। गुडगाँव हरियाणा से दवाई ली। चार-पाँच बार, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
स्वामी रामदेवजी की दवाईः- अक्टूबर २००७ से फरवरी २००८ तक यानि पाँच महिने स्वामी रामदेवजी की दवाई पंचवटी जिला नाशिक महाराष्ट्र के एक औषद्यालय से ली। दवाई पूरे परहेज के साथ व जो-जो प्राणायाम बताये उनके अनुसार ली, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। परहेज में जो चीजें नहीं खानी थी वो इस प्रकार हैः- पालक, चौलाई,टमाटर, बैंगन, भिन्डी, फूल गोबी, कद्दू, खीरा,काले अंगूर, आंवला, चीकू, काजू मसरुम, तिल,अण्डे, मांस, दूध व दूध से बनी चीजें, चावल इत्यादि।
फिर ओझर जिला नाशिक के डाक्टर करूले से चार पाँच महीन दवाई ली, लेकिन कोई फायदा नहीं मिला, जबकि दर्द वैसे ही होता रहा। डाक्टर करूले ने स्वयं दवाई बन्द कर दी, यह कहकर कि मेरे बस का काम नहीं। उसके बाद मेरे एक दोस्त ने अम्बाला हरियाणा से लाकर दवाई दी, उससे भी कोई फायदा नहीं हुआ। फिर एक डाक्टर मिला जिसने दो महिने की देशी दवाई दी कि इससे पथरी गारन्टी से निकल जाएगी। उससे पथरी निकली नहीं जबकि साइज में बढ गई।
मुझे दि. २९.१.२००९ को नासिक से अश्विनी बोम्बे भेज दिया। अस्पताल में जाते ही फिर १०.२.२००९ ;म्ैॅस्द्ध लेजर थैरपी की तारीख मिल गई। इसी दौरान मेरी मुलाकात अर्जुन सिंहजी, ओमबीरजी व बुधाराम विश्नोईजी से हुई, ये तीनों भारतीय नौसेना में कार्य करते हुए अश्विनी अस्पताल के गार्डन में मरीजों को शाम को ध्यान करवाते हैं। अर्जुन सिंह जी ने मुझे भी गुरुदेव का फोटो दिया तथा ध्यान का तरीका बताया। मैंने ३.२.२००९ की शाम सभी के साथ ध्यान लगाया। मेरा पहले ही दिन जबरदस्त ध्यान लगा। शीर्षाशन लगा, मूल बन्ध, उडयान बंध व जालन्धर बन्द एक साथ लगे। ध्यान के दौरान श्री कृष्ण जी बांसुरी बजाते हुए मेरे सामने आकर खडे हो गए। ध्यान के बाद मैंने बताया कि ध्यान के दौरान इस प्रकार के अनुभव हुए तो गुरु भाई कहने लगे आपको तो महाबंध लग गया। जबकि मैं बंधों के बारे में कुछ भी नहीं समझता था, मैं तो सिर्फ प्राणायाम करता था। दो-तीन दिन बाद मेरी जीभ मुडती हुई तालु से जा चिपकी, मैंने जब इसके बारे में बताया तो वे कहने लगे कि आपको तो खेचरी मुद्रा लग गई। इससे पहले खेचरी मुद्रा के बारे में मुझे कुछ भी मालूम नहीं था कि खेचरी मुद्रा क्या होती है?
फिर १०.२.२००९ का दिन आ गया, मेरी पुनः पत्थरी तोडी गई लेकिन थैरेपी (म्ैॅस्) के द्वारा ११.२.२००९ को फिर एक्स-रे हुआ जिसमें चारों पथरियां वैसे ही दिखाई दी,जैसे पहले थी यानि नतीजा फिर वही ढाक के तीन पात।
ध्यान के दौरान दर्शन ः-
ध्यान के दौरान मुझे श्री कृष्ण, दादा गुरुदेव श्री गंगाईनाथजी, शिवलिंग, शिव पार्वती, सांई बाबा महर्षि अरविन्द, माता शेरां वाली, लक्ष्मी माता, हनुमान जी आदि देवताओं के दर्शन हुए।
डाक्टर साहब ने मेडिकल कैटेगरी डाउन करके १६.२.२००९ को अस्पताल से छुट्टी दे दी। मैं बॉम्बे से नाशिक रेलगाडी से आ रहा था। ए.सी. के एक केबिन जो बिल्कुल खाली था, मैं वहीं बैठकर ध्यान लगाने लगा। ध्यान के दौरान गुरुदेव ने मुझसे पूछा-अस्पताल से आ गये, हुआ कोई फायदा?मैंने कहा नहीं गुरुदेव। तब गुरुदेव ने कहा, अब आपका ईलाज मैं करता हूँ, और इसके बाद मेरा ध्यान खुल गया। ध्यान से उठकर जब मैं पेशाब करने गया तो काफी बडा पथरी का टुकडा पेशाब में निकला। मैं वापिस नासिक पहुँच गया। वहाँ जाने के बाद ७-८ दिन में उतनी ही साइज के पाँच पथरी के टुकडे और निकले ये सभी पथरियां बिना दर्द हुए ही निकली।
५.३.२००९ को मैं सूरत (गुजरात) जाकर गुरुदेव से दीक्षा लेकर आया। एक चीज लिखना भूल गया था कि तीन वर्ष में (२००६ से २००९ तक) मैंने पत्थर चट के पत्ते व कुल थी की दाल इतनी खाई कि उनका नाम मात्र लेने से मुझे उल्टी आने लगती है, लेकिन वे भी मेरी पथरी नहीं निकाल सकें। अब मैं ना तो कोई पथरी की दवा खा रहा हूँ और ना ही किसी प्रकार का परहेज कर रहा हूँ। सिर्फ सुबह शाम गुरुदेव का ध्यान करता हूँ व बाकी समय मन्त्र चलता रहता है, गुरुदेव से दीक्षा लेने के बाद सब कुछ अच्छा चल रहा है। घर में परिवार के सभी सदस्य गुरुदेव की फोटो से ध्यान करते हैं।
मैं पूज्य सद्गुरुदेव श्रीरामलालजी सियाग के चरणों में बार-बार प्रणाम करता हूँ। मैं तो कहता हूं गुरुदेव की कृपा से यह पथरी तो क्या पहाड भी टूट सकता है। ’’जयगुरुदेव श्री रामलालजी सियाग‘‘ जय दादा गुरुदेव गंगाईनाथजी
’’पथरी तो एक बहाना था, गुरुशरण में आना था।‘‘
- सत्यवान सिंह S/o श्री श्रीराम
गाँव-गांवडी, जाट, तह. नारनौल,
जिला. महेन्द्रगढ, हरियाणा
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