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एक  गरीब युवक अपनी गरीबी से परेशांन होकर किसी नदी के... Inspirational short stories | Spiritual Stories



एक  गरीब युवक अपनी गरीबी से परेशांन होकर किसी नदी के किनारे अपने जीवन को समाप्त करने गया | एक साधू वंहा था जिसने उसे ऐसा करने से रोक दिया | साधू ने युवक से परेशानी पूछी और सुनकर उस से कहा किमेरे पास एक जादुई घडा है और तुम जो भी इस जादुई घड़े से मांगोगे ये पूरी कर देगा |” पर जिस दिन यह घडा फूट जायेगा जो कुछ भी इसने दिया है वो गायब हो जायेगा | मैं तुम्हे वो घडा दे सकता हूँ अगर तुम दो साल तक मेरी सेवा करते हो तो | और अगर पांच साल तक मेरी सेवा करते हो तो मैं तुम्हे वो जादुई विद्या भी सिखा सकता हूँ जिस से तुम वो घडा बना सकते हो | बोलो तुम क्या चाहते हो ?
इस पर उस युवक ने कहामहाराज मैं तो दो साल तक आपकी सेवा करने को तेयार हूँ मुझे तो जल्दी से जल्दी बस ये घडा चाहिए ‘ | मैं इसे बहुत संभाल कर रखूंगा और इसे कभी फूटने ही नहीं दूंगा | इस तरह दो साल सेवा करने के बाद उस युवक ने वो जादुई घडा प्राप्त कर लिया और अपने घर पहुँच गया | युवक ने उस घड़े से अपनी हर इच्छा पूरी की महल बनाया नौकर चाकर बनाये और सब तरह से धन धान्य से संपन्न हो गया | इसके बाद उसके विलासिता का जीवन शुरू कर दिया और मदिरापान करना भी शुरू कर दिया एक दिन शराब पीकर वो घड़े को अपने सर पर रखकर नाच रहा था कि घडा फूट गया और जो कुछ उसने बनाया था सब गायब हो गया |
अब युवक सोचने लगा कि अगर मेने जल्दबाजी नहीं की होती और ठीक से सेवा करके अगर वो विद्या भी सीख ली होती तो मैं आज फिर से गरीब नहीं बनता अब तो सब कुछ खो गया |

moral : कोई भी काम करने में जल्दबाजी नहीं की जानी चाहिए हमे सबसे पहले उस विषय में गहरा ज्ञान हासिल कर लेना चाहिए जो हमे अनुभवी बनाता है |



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एक गाय को मोक्ष प्राप्त नहीं हो सकता। हाथी को भी नहीं और शेर को भी नहीं  मोक्ष केवल मानव को प्राप्त हो सकता है।


सिद्धयोगयोग के दर्शन पर आधारित है जो कई हजार वर्ष पूर्व प्राचीन ऋषि मत्स्येन्द्रनाथ जी ने प्रतिपादित किया तथा एक अन्य ऋषि पातंजलि ने इसे लिपिबद्ध कर नियम बनाये जो ‘योगसूत्र‘ के नाम से जाने जाते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार मत्स्येन्द्रनाथ जी पहले व्यक्ति थे जिन्होंने इस योग को हिमालय में कैलाश पर्वत पर निवास करने वाले शास्वत सर्वोच्च चेतना के साकार रूप भगवान शिव से सीखा था। ऋषि कोइस ज्ञान को मानवता के मोक्ष हेतु प्रदान करने के लिये कहा गया था। ज्ञान तथा विद्वता से युक्त यह योग गुरू शिष्य परम्परा में समय-समय पर दिया जाता रहा है।

इस युग का मानव भौतिक विज्ञान से शान्ति चाहता है परन्तु विज्ञान ज्यों-ज्यों विकसित होता जा रहा हैवैसे-वैसे शान्ति दूर भाग रही है और अशान्ति तेज गति से बढती जा रही है। क्योंकि शान्ति का सम्बन्ध अन्तरात्मा से हैअतः विश्व में पूर्ण शान्ति मात्र वैदिक मनोविज्ञान के सिद्धान्तों पर ही स्थापित हो सकती है। अन्य कोई पथ है ही नहीं। भारतीय योग दर्शन में वर्णित “सिद्धयोग” से विश्व शान्ति के रास्ते की सभी रुकावटों का समाधान सम्भव है।


समर्थ सिद्धगुरु के अनुग्रह से सिद्धयोग ध्यान की
क्रियात्मक प्रक्रिया के माध्यम से सबसे पहले कुंडलिनी
का जागरण होता हैफिर उसका उत्थान होता है।
इसके बाद क्रम से चक्रों का भेदन होता हैं और अंत में
आज्ञा चक्र में अपने सद्गुरु के चिन्मय स्वरुप का दर्शन
होता है।
अंत में सहस्त्रार स्थित शिव से शक्ति का सामरस्य महा मिलन होता है।
समर्थ सिद्धगुरु श्री रामलालजी सियाग के फोटो का आज्ञाचक्र पर ध्यान करने से कुण्डलिनी जाग्रत हो जाती है।

यह जाग्रत कुण्डलिनी साधक का मनबुद्धि  प्राण अपने अधीन कर उसे स्वतः यौगिक क्रियाएँ करवाती हैl


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Guru Siyag Siddha Yoga The Way, Meaning, Means, and Method of meditation.

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Guru Siyag's Siddha YogaThe Way, Meaning, Means, and Method of Salvation/Yoga/meditation,


May you live a long and healthy life!

Siddha Yoga In Short:
Anyoneof any religion, creed, color, country
Anytimemorning, noon, evening, night
Any duration5, 10, 12, 15, 30 minutes. For as much time as you like.
Anywhereoffice, hosme, bus, train
Anyplaceon chair, bed, floor, sofa
Any positioncross-legged, lying down, sitting on chair
Any agechild, young, middle-aged, old
Any diseasephysical, mental and freedom from any kind of addiction
Any stressrelated to family, business, work


1 comments:

  1. Thank you so much for sharing this pretty post, it was so good to read and useful to improve my knowledge as updated one, keep blogging Cours de meditation online

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