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एक महात्मा - विरक्तानन्द। जीवन भर पैसे को हाथ नहीं लगाया। एक सेवक मिला हुआ है। स्वयं बनाता है रोटी , इन्हें खिला देता है, या भिक्षा माँग कर लाता है, और इस तरह, कितने वर्षों से यह चला रहा है। आज अचानक इस सेवक को कहीं जाने की आवश्यकता पड़ गई है। विवश है बेचारा। महाराज , मुझे कुछ दिनों के लिए बाहर जाना पड़ेगा। जाओ बेटा , कोई बात नहीं। आपके खाने का क्या होगा? महात्मा कहते हैं कि हम तो तेरे खाने पर कभी भी निर्भर नहीं थे। जो उस वक्त देता था , वह अब भी देगा। जाओ आप, निश्चित हो कर जाओ। लेकिन सेवक , यह सब सुनते हुए भी , एक बीस रुपए का नोट देता है- यह आप रख लीजिएगा। नहीं बेटा , मैंने जीवन भर पैसे को हाथ नहीं लगाया, मैं अभी भी हाथ नहीं लगाऊँगा पर यह सेवक का मन नहीं मानता, इसलिए, सामने कहीं , गड्डा बनाकर उसमें रख देता है। महाराज ! यह देख लीजिएगा। यहाँ यह नोट रख दिया है।

परमेश्वर की ऐसी करनी। महात्मा अति रोगी हो गए इस सेवक के पीछे पीछे उनकी मृत्यु हो गई।महात्मा महासमाधि लेकर मर गए। अब भी लोग वहाँ जाते हैं। पक महात्मा तो हैं नहीं पर किसी के खड़ाऊँ की आवाज़ आती है।लोग जानते हैं कि जब ऐसा होता है तो भूत होता है। भूत तंग नहीं करता है। कुछ कहता नहीं है। अब सेवक भी वापिस गया। उसे भी बात का पता लगा। वह एक रात वहाँ ठहरा। बाबा से प्रार्थना करता है- बाबाश्री - यह कौन है? यह क्या हुआ है महाराज? यह तो आप ही के चलने की आवाज़ है! मैं इन्हें बहुत अच्छे से पहचानता हूँ। बाबा कहते हैं बेटा यह तेरे बीस रुपइये की करतूत है। मरते वक्त मेरा मन उस बीस रुपये पर चला गया। यह मेरे लिए रखे हुए हैं। यह मेरा पन जो जुड़ गया। उसने मुझे यह दुर्गति दे दी है। अभी इसे निकाल और किसी धर्म के कार्य में डाल। मेरी सद्गति हो जाएगी

उस विरक्तानन्द ने बीस रुपए का सोचा तो उसकी यह हालत हुई, हम तो तिजोरियों के साथ, पत्नी के साथ, पुत्र के साथ, मेरापन जोड़े हुए हैं, मकान के साथ.. हमारा क्या हाल होगा, यह परमेश्वर के सिवाय कोई नहीं जानता।
मोह हमारे पुर्नजन्म का कारण है, इसमें कोई संदेह नहीं ।संत महात्मा अनेक प्रकार का मोह वर्णन करते हैं - कहीं तन का मोह, कहीं धन का मोह, कहीं भूख का मोह है, कहीं यशमान का मोह है, कहीं प्रशंसा सुनने का मोह है, कहीं पुत्र के प्रति मोह है, कहीं पत्नी के प्रति मोह है,मानो अनेक प्रकार के मोहों से व्यक्ति ग्रस्त है। सम्भवतया आदमी विभिन्न योनियों में प्रवेश करता है। इन्हीं के कारण , यदि कोई भाग्यशाली है, तो उसे बार बार मनुष्य योनी मिलती है।
एक गाय को मोक्ष प्राप्त नहीं हो सकता। हाथी को भी नहीं और शेर को भी नहीं मोक्ष केवल मानव को प्राप्त हो सकता है।


सिद्धयोगयोग के दर्शन पर आधारित है जो कई हजार वर्ष पूर्व प्राचीन ऋषि मत्स्येन्द्रनाथ जी ने प्रतिपादित किया तथा एक अन्य ऋषि पातंजलि ने इसे लिपिबद्ध कर नियम बनाये जो ‘योगसूत्र‘ के नाम से जाने जाते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार मत्स्येन्द्रनाथ जी पहले व्यक्ति थे जिन्होंने इस योग को हिमालय में कैलाश पर्वत पर निवास करने वाले शास्वत सर्वोच्च चेतना के साकार रूप भगवान शिव से सीखा था। ऋषि कोइस ज्ञान को मानवता के मोक्ष हेतु प्रदान करने के लिये कहा गया था। ज्ञान तथा विद्वता से युक्त यह योग गुरू शिष्य परम्परा में समय-समय पर दिया जाता रहा है।

इस युग का मानव भौतिक विज्ञान से शान्ति चाहता है परन्तु विज्ञान ज्यों-ज्यों विकसित होता जा रहा हैवैसे-वैसे शान्ति दूर भाग रही है और अशान्ति तेज गति से बढती जा रही है। क्योंकि शान्ति का सम्बन्ध अन्तरात्मा से हैअतः विश्व में पूर्ण शान्ति मात्र वैदिक मनोविज्ञान के सिद्धान्तों पर ही स्थापित हो सकती है। अन्य कोई पथ है ही नहीं। भारतीय योग दर्शन में वर्णित “सिद्धयोग” से विश्व शान्ति के रास्ते की सभी रुकावटों का समाधान सम्भव है।


समर्थ सिद्धगुरु के अनुग्रह से सिद्धयोग ध्यान की
क्रियात्मक प्रक्रिया के माध्यम से सबसे पहले कुंडलिनी
का जागरण होता है, फिर उसका उत्थान होता है।
इसके बाद क्रम से चक्रों का भेदन होता हैं और अंत में
आज्ञा चक्र में अपने सद्गुरु के चिन्मय स्वरुप का दर्शन
होता है।
अंत में सहस्त्रार स्थित शिव से शक्ति का सामरस्य महा मिलन होता है।
समर्थ सिद्धगुरु श्री रामलालजी सियाग के फोटो का आज्ञाचक्र पर ध्यान करने से कुण्डलिनी जाग्रत हो जाती है।

यह जाग्रत कुण्डलिनी साधक का मन, बुद्धि प्राण अपने अधीन कर उसे स्वतः यौगिक क्रियाएँ करवाती हैl


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Guru Siyag Siddha Yoga The Way, Meaning, Means, and Method of meditation.

more about ‪#‎GuruSiyag or ‪#‎SiddhaYoga in various(National & International) newspapers--->http://spirtualworld.blogspot.com/search/label/news-paper


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Thank You for having patience and reading this. 

Life mein agar ye Video nahi dekha to hamesha yahi lagega ki kuch to tha jo miss ho gaya...[If you are spiritual then must watch otherwise ignore(This is not for you)]


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for all audios (it is always free):


http://spirtualworld.blogspot.com/2016/05/all-speeches-of-guru-siyag-at-one-place.html

Guru Siyag's Siddha YogaThe Way, Meaning, Means, and Method of Salvation/Yoga/meditation,



May you live a long and healthy life!

Siddha Yoga In Short:
Anyoneof any religion, creed, color, country
Anytimemorning, noon, evening, night
Any duration5, 10, 12, 15, 30 minutes. For as much time as you like.
Anywhereoffice, hosme, bus, train
Anyplaceon chair, bed, floor, sofa
Any positioncross-legged, lying down, sitting on chair
Any agechild, young, middle-aged, old
Any diseasephysical, mental and freedom from any kind of addiction
Any stressrelated to family, business, work

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