✅ Highlights of the day:

लोग अक्सर भगवान के दर्शन करने अनेकों तीरथ जाते हैं बड़े-बड़े कष्ट झेलकर मंदिरों में जाते हैं कई व्रत-उपवास करते हैं
लेकिन उन्हे परम शांति नही मिल पाती है आत्म-संतुष्टि नही मिल पाती है 

विवेकानंद कहते थे में जब छोटे-छोटे बच्चों को मंदिरों में देखता हूँ तो मुझे बहुत खुशी होती है लेकिन जब में बूढ़ों को मंदिर जाते देखता हूँ तो मुझे बड़ा दुख होता है कि वे इतनी बड़ी उम्र तक भी प्रभु को नही जान पाए प्रभु का जो सच्चा नाम है वह नही जान पाए
भगवान के सभी नाम गुणवाचक है लेकिन जो प्रभु का सच्चा नाम है वो गुणवाचक नही जीभ के अंतर्गत नही आता है और वो नाम केवल समय के सच्चे सतगुरु ही दे सकते हैं
उसी में परम शांति है जिससे मान में शांति होगी तभी तो बाहर भी शांति होगी और तभी पूरी दुनिया मैं शांति होगी
और सच्चे ज्ञान को जाने बिना वे इधर-उधर भटकते हैं देखा-देखी भक्ति करते हैं परंतु इससे कल्याण नही होगा
वह नरक से नही बच सकता है
उस परम ज्ञान को केवल सच्चे सतगुरु ही दे सकते हैं यही ज्ञान महाभारत में कृष्ण ने अर्जुन को दिया था
अध्यात्म का अर्थ है मनुष्य की आत्मा को परमात्मा से जोड़ना........
आऔ दिव्य दृष्टि. प्राप्त करे,..ईश्वर, प्रतयक्ष अनुभूति और साक्षात्कार का विषय है ... कथा, कहानी सुनने सुनाने या बहस करने का नहीं है....सिद्ध योग का अभ्यास किया नही जा सकता , यह अपने आप होता है,सिद्ध योग के अभ्यास का मतलब है,हमेशा, धैर्य , समभाव और आनंद के राज्य में रहना.





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1 comments:

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