कुण्डलिनी शक्ति क्या है ?कुण्ड का अर्थ है कोई पदार्थ किसी पात्र में
संग्रहित है जैसे ,जल का कुण्ड अर्थात जल एक गढ़े मेंसंग्रहित हो कर जल कुण्ड बन गया | ठीकउसी प्रकार हमारी शक्ति एक कुण्ड में संग्रहित हैवह शक्ति जो परमात्मा ने हमें उपहार स्वरुप दिया है| वह शक्ति जिसके द्वारा हम जीवित हैं |वहशक्ति जो हामारे रक्त शिराओं में रक्तको प्रवाहित करता है | वह शक्ति जो हमारेविभीन भावनाओं को मह्शूश कराता है आखिर हमभावनाएं कैसे मह्शूश करते हैं | हम प्रेम ,घृणा ,क्रोध ,आनंद आदि कैसे मह्शूश करते हैं | कौन भीतरबैठ कर यह सब मह्शूश करता है |और किसकेद्वारा मह्शूश करता है | ये हमारे रहश्य में उतरने केपहले के प्रश्न हैं जो सार्थक हैं |अधिकांशव्यक्ति इन प्रश्नों पर ध्यान नहीं देता क्यों ?क्योंकि वह वासनाओं से परेशान वह नित्यप्रति अपनी क्षुधा पूर्ति में लगा रहता है ,काम मेंडूबा रहता है और जब इससे थोडा उपर उठता हैतो हम सुखी रहेंगे भविष्य में इसलिए धन कमा सकेंऐसा सोचता है मोटर बँगला के चक्कर में पडजाता है | ये बुरा नहीं है किन्तु इसमें हीं डूबजाना ठीक नहीं |ईश्वर ने अदभुत शक्ति दी हमारे अंदर वह हैसंतानोत्पति की क्षमता किन्तु हम इसमें हीं डूबजातें हैं | डूब जातें है का मतलब संतान उत्पन्नकिया फिर उसके लालन पालन में लग गये |यहभी अनिवार्य है किन्तु इसी फंसे रह जाना उचितनहीं | हम कब अपने लिए समय देतें हैं | बसजरा सा इससे बाहर निकलेकी हमारी यात्रा आरम्भ हुई परमात्मा के तरफ बहुतआसान है बस जरा मनोबल को मजबूत करनेकी आवश्यकता है और बाहर निकलनेकी चेष्टा चाहिए |भौतिक शास्त्र में एक सिद्धांत है ऊर्जा का क्षयनहीं होता सिर्फ रूपांतरण होता है और यह बिलकुलसत्य है | कुण्डलिनी शक्ति जगाने के कर्म में बसइसी सिद्धांत का प्रयोग किया जाता है |वहशक्ति जो हमारे कण कण में बह रही है उसेसुनियोजित करके एक विशेष विधि द्वारा एक विशेषस्थान तक पहुँचाया जाए | कौन सा स्थान है वहजहाँ उस शक्ति को पहुंचाना है ,वह है सिर में स्थित"सहस्त्रार चक्र" बस विशेषउर्जा को वहाँ पहुंचा देना है फिर आनंद की शुरुआतहो गयी |तो आइये शुरुआत करते हैंSiddha Yoga In Short: | |||||||||||||||||||
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