न्यूटन
ने कहा था- "मैं जब अपने पूरे जीवन पर नज़र डालता हूँ तो पाता हूँ कि मैं
एक अबोध बालक कि तरह समुद्र के किनारे सीपियाँ,समुद्री घोंघों की हड्डियाँ
ही चुनता रहा | अब मैं अंतिम समय में जब उस विशाल समुद्र को देखता हूँ तो
सोचता हूँ कि मैंने कुछ भी नहीं प्राप्त किया | इस विशाल समुद्र की खोज से
ही शांति संभव होगी "
यही नहीं मैं उन्हें उस तत्व की प्रत्यक्षानुभूति और साक्षात्कार करवाने आया हूँ जिसकी खोज हमारे ऋषि-मुनियों ने की थी | उन्होंने इस भौतिक सूर्य जैसे लाखों सूर्य देखे | इसके अतिरिक्त उन्होंने देखा कि एक ऐसा ऊर्जा पुंज है जो इन लाखों सूर्यों को प्रकाशित कर रहा था | उन्होंने उस तत्व का जो ज्ञान प्राप्त किया मैं उसकी प्रत्यक्षानुभूति और साक्षात्कार कराने संसार में निकला हूँ ~~ सद्गुरुदेव श्री रामलालजी सियाग
यही नहीं मैं उन्हें उस तत्व की प्रत्यक्षानुभूति और साक्षात्कार करवाने आया हूँ जिसकी खोज हमारे ऋषि-मुनियों ने की थी | उन्होंने इस भौतिक सूर्य जैसे लाखों सूर्य देखे | इसके अतिरिक्त उन्होंने देखा कि एक ऐसा ऊर्जा पुंज है जो इन लाखों सूर्यों को प्रकाशित कर रहा था | उन्होंने उस तत्व का जो ज्ञान प्राप्त किया मैं उसकी प्रत्यक्षानुभूति और साक्षात्कार कराने संसार में निकला हूँ ~~ सद्गुरुदेव श्री रामलालजी सियाग
For full lecture of guru Siyag in hindi visit : http://spirtualworld.blogspot.com/p/online-initiation-c-ompletely-free-of.html
0 comments:
Post a Comment