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गुरू आपसे क्या लेता है?

गुरू आपसे आपका धन नही लेता,गुरू आपसे आपका तन भी नही लेता,
गुरू आपसे सिर्फ आपका मन लेता है....
आप अपने सभी नियमित आहार-विहार करते जाऔ,मन में गुरूमंत्र का सुमिरण करते जाऔ,बस ।

गुरू आपको क्या देता है?

गुरू आपको कुछ नही देता,केबल आपको, अपने असली स्वरूप का बोध कराता है,किसी गुरू के पास आपको देने के लिये, कुछ भी नही है, आप जनम से पूर्ण हो, बस जानते नही हो, इस आराधना से,माया का आवरण क्षीण हो जायेगा, और आपका निज स्वरूप प्रकट हो जायेगा ।।

गुरू आपसे क्या चाहता है?
गुरू आपसे कुछ भी नही चाहता,वह कहता है,कि 24 घंटो में से 23/1/2 घंटे आप अपने परिवार,समाज के आचार-विचार में व्यतीत करो....15-15 मिनट सुबह-शाम परमात्मा का आभार वयक्त करने हेतू ध्यान में बैठो,..ध्यान लगे या ना लगे, आपकी ड्यूटी खत्म,अब जो करना है,गुरूने ही करना है।

जब आप ध्यान मे बेठो गे, तो तीन गुणो वाली ईश्वर की महामोहनी माया आपको विक्षेपित करेगी,जब आप सतोगुण में होंगे,ध्यान फलित होगा,जब आप रजोगुण में होंगे,तो विचार आपको शिथिल कर देंगे,जब आप तमोगुनी वृति में होंगे,तो आलस्य आपको घेरेगा......

आप बिलकुल चिंता ना करे,आपकी नियम पूर्बक मात्र ईतनी ही डयूटी है,आगे गुरू में दम होगा,तो आगे का काम होगा, गुरू आपको धीरे-धीरे तीनो गुणो से,तीनो वृतियो से, छुडा देगा,आप आनंद में मगन होकर कृत्य-कृत्य हो जाओगे....तुरियावस्था में अवस्थित हो जाओगे,पलक झपकाई तो संसार में,और एक क्षण में निजानंद में मग्न हो जाओगे.....जाग्रत,सवप्न, सुषुप्ती और तुरीयावस्था का भेद जान जाओगे,परम आल्हादिनी शक्ती कुण्डिलिनी सब भेदो को उजागर कर आपको जीतेजी जीवनमुक्त कर देगी,आप,आपरहित, अंदर रहित,बाहररहित,मैं रहित,तू रहित हो तुरीयतीत हो जाओगे,जीवन का परमलक्ष्य,परम पुरूषार्थ प्राप्त कर धन्य हो जाओगे।

जब सिध्द योग का साधक चेतन हो जाता है, तो वह अपने सभी शरीरो को पवित्र कर लेता है। वह जंहा-जहां ध्यान लगाता है, वह धरती पवित्र हो जाती है,धरती ऎसॆ पुण्यातमाओ को पाकर धन्य हो जाती है। 
अपने कर्मो से, वय्वहार से, वाणी से, वह साधक चारो ओर अपार सुख बिखेरता हैै,वह सबका परममित्र बन संसार में उज्जवल कर्म करता है, अपनी मस्ती और निजानन्द में, हंसता, रोता,गाता है,उससे मिल कर हर कोई अपनेआप को सोभाग्यशाली मानता है ,सहज-सरल वह साधक सर्वत्र प्रेम का प्रसार कर सम्पुर्ण जगत को ही ईश्वरमय बना देता है। ऐसे लोग ही परमात्मा की सृष्ठी के श्रेष्ट नियामक है।

सभी प्रबुध्द ,सूझवान और समझदार लोगौ को आमंञण..सिध्दयोगा,एक कल्पतरू का पेड़ है,भावना के अनुसार क्रियाशील होता है,यह बिलकुल मुफ्त है,
आऔ दिव्य दृष्टि. प्राप्त करे,..ईश्वर, अनुभूति प्रत्यक्ष और साक्षात्कार का विषय है ... कथा, कहानी सुनने सुनाने या बहस करने का नहीं है....सिद्ध योग का अभ्यास किया नही जा सकता , यह अपने आप स्वचालित-स्वघटित होता है,सिद्ध योग के अभ्यास का मतलब है,हमेशा, धैर्य , समभाव, कृतज्ञता और आनंद के राज्य में रहना...
जय गुरुदेव जी.

Meditation Method:

Divine Mantra

 This Unique Meditation Method awakens your inner dormant spiritual energy know as Kundalini Power.

 Aawakened Kundalini Induces Automatic Yogic movements as per Physical,Mental & spiritual requirements of practitioner.

  Stimulates Cells,Nerves & Neurons (which are not functioning properly)of the body in order to heal bodily diseases in Holistic way.

  Pierce the Chakras & clear the energy blockages.

  Increases Empathy and helps to maintain higher level of Alpha Rhythm in brain which Reduces negative mood,tension,sadness and anger.

  Inncreases positivity & happiness.

  Develops pain tolerance,memory power,self awareness,goal setting.

  Reduce Stress & Depression related health issues.

 Helps to get rid of all kinds of addictions by elevating positive tendency for a Happy Divine Life.

 What is the function and benefits of this #Yoga .

 Everybody should know something about kundalini as it represents the coming consciousness of mankind. Kundalini is the name of a sleeping dormant potential force in the human organism and it is situated at the root of the spinal column. It takes only 15 to 20 minutes to experiment it.

'Physical exercise is not Yoga' - Guru Siyag
'शारीरिक कसरत का नाम योग नहीं है'- गुरु सियाग




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