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नाथ इतिहास: Nath Cult History with diagram: Online Initiation by Nath Yogis(Guru Gangainath-Guru Siyag)

बारह पंथों के नाम
(सिद्धमार्ग व नाथ सम्प्रदाय) के प्रारम्भक आदिनाथ सदाशिव गोरक्षनाथ हैं।बारह पंथ भी नाथ सम्प्रदाय सम्बन्धित होने से शिव गोरक्षनाथ ही इनके मूल आचार्य हैं लेकिन फिर भी जब जब जो पंथ जिस समय जिस सिद्ध योगी द्वारा अधिक प्रतिष्ठित एंव प्रभावित हुआ उसके प्रभाव के सम्बन्ध से भी कुत्रचित् उसकी प्रासि‍‍द्धि के नाम से भी वह पंथ बोला जाता है।
गोरखनाथ द्वारा प्रवर्तित योगिसंप्रदायमुख्य रूप से बारह शाखाओं में विभक्त है। इसीलिए इसे बारहपंथीकहते हैं। 


 
१. आई पंथ २. सत्यनाथी पंथ ३. रामनाथी
४. नटेश्व्री ५. धर्मनाथी ६. वैराग्यपंथी
७. कपलानी ८. पागल (पालक) पंथी ९. गंगनाथी
१०. मनोनाथी ११. रावल पंथी १२. ध्वज पंथी


नेपाल राजवंश गुरु गोरखनाथ की कृपा से अस्तित्व में आया। गुरु गोरख नाथ के आशीर्वाद से नेपाल राजवंश के संस्थापक पृथ्वीनारायण शाह देव ने बाईसी और चौबीसी नाम से बँटी 46 छोटी-छोटी रियासतों को संगठित कर नेपाल की स्थापना की थी। नेपाल के राजमुकुट, मुद्रा पर गुरु गोरक्षनाथ का नाम और उनकी चरण पादुका अंकित है।

गुरु गोरखनाथजी के नाम से ही नेपाल के गोरखाओं ने नाम पाया। नेपाल का गोरखा जिले का नाम भी भी गुरु गोरखनाथ के नाम पर ही पड़ा। गुरु गोरखनाथ सबसे पहले यहीं दिखे थे। यहां एक गुफा हैजहां गोरखनाथ का पग चिह्न है और उनकी एक मूर्ति भी है। यहां हर साल वैशाख पूर्णिमा को एक उत्सव मनाया जाता है जिसे रोट महोत्सव कहते हैं और यहां मेला भी लगता है।

 ‘‘रतनदेस में रता कहाया, मक्के मदीने हाजी ।

गगन मंडल में गोरख गरज्या, जद हुआ अलख से राजी ।
जननी न जाया उदर नहीं आया, आप अलख की काया ।
माथे हाथ दिया माछंदर, गोरखनाथ कहाया ।
नाथ कहंता सब जगनाथा, गोरख कहतां गोई ।
 कलमे का गुर महमद, नाथा पीछे नाथा सोई ।
रामनाथ लछमन को नाथा, नाथ्ज्ञी सीता माई ।





Shaktipat initiation awakening the Kundalini power by Nath Yogis(Guru Gangainath Ji and Guru Siyag)


आई पंथ : ‘आई’ शक्ति परमेश्वर शक्ति की बोधिका : नाथ संप्रदाय :Explanation of Ai Panth by Guru Nanak Dev

18 Jun 2018

1 comments:

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