शाम के ध्यान की अनुभूति
आज का ध्यान बहुत शानदार रहा, उदास मन से बैठा था कोई प्रार्थना नही की बस प्रभु का नाम लेकर बैठ गया, गुरूदेव ठहरे अंतर्यामी,स्पष्ट बोलने वाले सीधा बोले शरीर तेरा नौकर है तू शरीर का नौकर क्यों बन रहा है, शरीर तेरी सेवा के लिए है तू शरीर की सेवा क्यों कर रहा है, मैंने कहा कुछ भी हो आप तो बस ठीक कर दो
ध्यान गहरा होता चला गया नाम जप नाद में बदल गया फिर मैंने नाम जप बन्द कर के नाद पर ध्यान देना शुरू किया, पहले दूधिया प्रकाश, फिर सुनहरी प्रकाश दिखाई दिया बहुत देर तक फिर गहरा जामुनी प्रकाश, उसके बाद जामुनी प्रकाश सुनहरी प्रकाश के अंदर घूमता रहा,मैं नाद सुनता रहा और ये सब देखता रहा
उसके बाद सुनहरी रंग का साम्राज्य दिखा, उसका पूरा गेट सुनहरी था मानो सोने का हो, साम्राज्य तैयार हो रहा था अंदर का मुझे कुछ नही दिखा सिर्फ गेट दिखाई दिया था बाहर से,
फिर दादा गुरूदेव दिखे, और मैं समाधि पर प्रार्थना करने लगा नाद चालू था, मुझे दादा गुरूदेव अक्सर नई उम्र वाले दिखते हैं,उनके पास बैठा रहा ध्यान में फिर गुरुदेव दिखे, चरण स्पर्श करके दादा गुरुदेब और गुरुदेब के ध्यान खुल गया, ये ध्यान 40 मिनट से ऊपर का था यौगिक moment पर मैंने ध्यान नही दिया- एक साधक
जय गुरुदेव
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