A Scientific way of meditation for human being
"HEALTH IS WEALTH"
वह धीरे धीरे बिल्कुल निकम्मा हो गया था| उसे ऐसा लगता जैसे मैं सबका स्वामी हूँ क्यूंकी मेरे पास बहुत धन है मैं तो कुछ भी खरीद सकता हूँ| यही सोचकर वह दिन रात सोता रहता था|
यह देखकर वह व्यक्ति बहुत परेशान हुआ| उसके पास बहुत पैसा था उसने शहर से बड़े बड़े डॉक्टर को बुलाया और खूब पैसा खर्च किया लेकिन उसका शरीर ठीक नहीं हो पाया| वह बहुत दुखी रहने लगा|
एक बार उस गॉव से एक साधु गुजर रहे थे उन्होने उस व्यक्ति की बीमारी के बारे मे सुना| सो उन्होनें सेठ के नौकर से कहा कि वह उसकी बीमारी का इलाज़ कर सकते हैं| यह सुनकर नौकर सेठ के पास गया और साधु के बारे में सब कुछ बताया| अब सेठ ने तुरंत साधु को अपने यहाँ बुलवाया लेकिन साधु ने कहा क़ि वह सेठ के पास नहीं आएँगे अगर सेठ को ठीक होना है तो वह स्वयं यहाँ चलकर आए|
सेठ बहुत परेशान हो गया क्यूंकी वो असहाय था और चल फिर नहीं पता था| लेकिन जब साधु आने को तैयार नहीं हुए तो हिम्मत करके बड़ी मुश्किल से साधु से मिलने पहुचें| पर साधु वहाँ थे ही नहीं| सेठ दुखी मन से वापिस आ गया अब तो रोजाना का यही नियम हो गया साधु रोज उसे बुलाते लेकिन जब सेठ आता तो कोई मिलता ही नहीं था| ऐसे करते करते 3 महीने गुजर गये| अब सेठ को लगने लगा जैसे वह ठीक होता जा रहा है उसके हाथ पैर धीरे धीरे कम करने लगे हैं| अब सेठ की समझ में सारी बात आ गयी की साधु रोज उससे क्यूँ नहीं मिलते थे| लगातार 3 महीने चलने से उसका शरीर काफ़ी ठीक हो गया था|
तब साधु ने सेठ को बताया की बेटा जीवन में कितना भी धन कमा लो लेकिन स्वस्थ शरीर से बड़ा कोई धन नहीं होता|
तो मित्रों, यही बात हमारे दैनिक जीवन पर भी लागू होती है पैसा कितना भी कमा लो लेकिन स्वस्थ शरीर से बढ़कर कोई पूंजी नहीं होती
(2) सभी प्रकार के नशों जैसे शराब, अफीम, स्मैक, हीरोइन, बीडी, सिगरेट, गुटखा, जर्दा आदि से बिना परेशानी के छुटकारा।
(3) मानसिक रोग जैसे भय, चिंता, अनिद्रा, आक्रोश, तनाव, फोबिया आदि से मुक्ति।
(4) अध्यात्मिकता के पूर्ण ज्ञान के साथ भूत तथा भविष्य की घटनाओं को ध्यान के समय प्रत्यक्ष देख पाना संभव।
(5)एकाग्रता एंव याददाश्त में वृद्धि।
(6)साधक को उसके कर्मों के उन बंधनों से मुक्त करता है जो निरन्तर चलने वाले जन्म
-मृत्यु के चक्र में उसे बांध कर रखते हैं।
(7) साधक को उसकी सत्यता का भान एंव आत्म साक्षात्कार कराता है।
(8)गृहस्थ जीवन में रहते हुए भोग और मोक्ष के साथ ईश्वर की प्रत्यक्षानुभूति।
i) ध्यान-
आपको सुबह सुबह शाम पन्द्रह मिनट तक समर्थ सद्गुरुदेव श्री रामलालजी सियाग के चित्र का ध्यान करना है। ध्यान से पहले गुरुदेव से पन्द्रह मिनट ध्यान में आने की प्रार्थना करें और उसके बाद आँखें बंद करके जहां हम माथे पर तिलक लगाते हैं यानि दोनों आखों के बीच में यह समझें कि गुरुदेव की फोटो विराजमान है व उस फोटो पर ध्यान केंद्रित करें व संजीवनी मंत्र का मानसिक जप करें। 15 मिनट बाद आप सामान्य स्थिति में आ जाएँगे।
ii) मन्त्र जप-
संजीवनी मन्त्र का दिन भर जब याद आ जाए तभी बिना जीभ होंठ हिलाए अधिक से अधिक मानसिक जप करते रहें।
संजीवनी मंत्र दीक्षा प्राप्त करने के लिए नीचे लिखे मोबाइल नंबर पर डायल करे। (07533006009).
(पूर्णतः निःशुल्क)
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